स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक दिन में ही 21 नए केस मिले हैं। विशेषज्ञों की मानें तो डेंगू से अब स्ट्रोक तक आने लगा है। खून में प्लेटलेट्स की कमी के कारण तमाम मरीज मल्टीपल आर्गन फेल्योर की स्थिति में पहुंच रहे हैं। डेंगू के तमाम मरीजों में शॉक सिंड्रोम के लक्षण भी मिलने लगे हैं।
हालांकि इस बीमारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। स्वास्थ्य विभाग की 33 टीमें घर-घर सर्वे करने में जुटी हैं। बावजूद इसके नागरिकों में मच्छरों से बचाव के प्रति जागरुकता की कमी साफ झलक रही है। इसका अंदाजा उन घरों से लगाया जा रहा है जहां डेंगू पीड़ित मिले हैं। ऐसे घरों के कूलर, टंकियों व गमलों में मच्छरों के लार्वा मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में 65 घरों में रखे 73 कंटेनरों में मच्छरों के लार्वा मिले।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक हजार 230 घरों का मुआयना किया तो उनमें बुखार से पीडि़त 846 मरीज मिले। मरीजों के खून की जांच में डेंगू के नए 21 मरीज मिले। इसमें से 16 को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया हैं। अन्य 205 घरों में स्पेस स्प्रे व फागिंग कराई गई। जिला मलेरिया अधिकारी डा. आरके पहारिया ने खुद बाई का बगीचा, लालमाटी, घमापुर समेत अन्य क्षेत्रों का भ्रमण करने के बाद डेंगू के रोकथाम के उपायों की समीक्षा की।
अब डेंगू मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देश पर जिला मलेरिया कार्यालय ने रांझी, गढ़ा व अधारताल के जलभराव वाले स्थानों पर मच्छरों के लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली छोड़ी गई है।
नगर निगम की लापरवाही लेकिन नगर निगम की लापवाही भी उजागर हुई है। शहर के उन तमाम इलाकों में खाली पड़े प्लाटों में भरे पानी में डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं लेकिन नगर निगम के स्तर से न जलनिकासी का प्रबंध किया जा रहा न ही जलजमाव वाले स्थानों पर किसी तरह का छिड़काव किया जा रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि खाली प्लाटों में जलभराव के लिए नगर निगम जिम्मेदार है। नगर निगम की लापरवाही के कारण शहर में डेंगू के मच्छरों का आतंक है। नगर निगम समूचे शहर में फागिंग भी नहीं करा रहा है।
डेंगू के सामान्य लक्षण अचानक तेज बुखार आना, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, भूख न लगना, शरीर के ऊपरी हिस्से में खसरे जैसे दाने निकलना, चक्कर आना, जी मचलना व उल्टी होना, शरीर पर खून के चकत्ते उभरना, खून में प्लेटलेट्स की कमी होना।
हेमरेजिक डेंगू के लक्षण
नाक, मुंह व मसूढ़ों से रक्तस्त्राव, खून में प्लेटलेट्स की भारी कमी, त्वचा पर घाव बनना, शरीर में असहनीय दर्द, गला सूखना, सांस लेने में तकलीफ होना। शॉक सिंड्रोम के लक्षण
नब्ज तेज चलना, रक्तचाप कम होना, साथ ही त्वचा का ठंडा पड़ना, बेचैनी महसूस होना, पेट में लगातार तेज दर्द होना।
डेंगू से बचाव के उपाय
डेंगू से बचाव के लिए जरूरी है कि घर व कार्यस्थल के आसपास स्वच्छता का ध्यान रखा जाय। कहीं भी पानी जमा न होने दें। गमले, कूलर, टंकियों का पानी बदलते रहें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का उपयोग करें। डेंगू के प्रारंभिक लक्षण आते ही चिकित्सीय परामर्श लें।
“डेंगू व मच्छर जनित अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रयास जारी हैं। सरकारी अस्पतालों में बेहतर इंतजाम किए गए हैं। नागरिकों को मच्छरों से बचाव व रोकथाम के लिए जागरुक किया जा रहा है।”- डा. आरके पहारिया, जिला मलेरिया अधिकारी