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High Court : महिला के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई पर हैरानी जताते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शहडोल संभागायुक्त के कामकाज को लेकर तल्ख टिप्पणी की। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने जिला बदर की कार्रवाई को निरस्त करते हुए कहा कि संभागायुक्त को डाकघर में काम करने वाले अधिकारी की तरह नहीं काम करना चाहिए कि डाक आई और मार्क कर दिया। उन्हें विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। पीठ ने उमरिया कलेक्टर पर 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाने का आदेश दिया।
मामला उमरिया जिले का है। जहां कि निवासी मुन्नी उर्फ माधुरी तिवारी के खिलाफ 2024 में जिला बदर किए जाने का आदेश दिया गया था। इसके खिलाफ संभागायुक्त शहडोल के समक्ष अपील की लेकिन उन्होंने भी उमरिया कलेक्टर के आदेश को बरकरार रखा। जिसे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि उसके खिलाफ सिर्फ 6 अपराधिक प्रकरण दर्ज है।जिसमें से दो धारा 110 के तहत तथा दो मामूली मारपीट की धाराओं के है। इसके अलावा दो प्रकरण एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज किये गये है। उसे किसी भी अपराधिक प्रकरण में सजा नहीं हुई है।
कोर्ट ने पाया कि कलेक्टर ने एसएचओ मदन लाल मरावी के बयान के आधार पर महिला के खिलाफ जिला बदर का आदेश पारित किया है। एसएचओ ने अपने बयान में स्वीकारा है कि एनडीपीएस के एक प्रकरण में आरोपी रमेश सिंह सेंगर के बयान के आधार पर याचिकाकर्ता महिला को आरोपी बनाया गया था। उसके पास से कोई प्रतिबंधित पदार्थ जब्त नहीं किया गया था। हाईकोर्ट ने जिला बदर आदेश निरस्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संभागीय आयुक्त शहडोल ने भी मामले के तथ्य और परिस्थितियों पर अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।
Updated on:
08 Mar 2025 12:06 pm
Published on:
08 Mar 2025 11:55 am
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