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हाईकोर्ट का फैसलाः शराब ठेकों के मामले में सरकार को मिली कामयाबी

locationजबलपुरPublished: Jul 22, 2020 12:18:39 pm

Submitted by:

Manish Gite

शराब ठेकों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, राज्य सरकार को मिली बड़ी राहत…।

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जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार और शराब कारोबारियों के बीच चले विवाद पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को राहत देते हुए कहा है कि पूर्व में आवंटित ठेकों के लिए पुनः ऑकशन की जरूरत नहीं है। ठेकेदार चाहे तो सरकार के समक्ष ठेके की अवधि दो माह के लिए बढ़ाए जाने का आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए सरकार ने पहले ही स्वीकृति दे रखी है।

 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा शराब ठेकेदारों की याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुना दिया। मुख्य न्यायाधिपति एके मित्तल एवं न्यायाधिपति विजय कुमार शुक्ला की अदालत ने अंतिम फैसला पारित किया, जिसमें सभी याचिकाओं को निराकृत करते हुए कहा गया है कि पूर्व में आवंटित ठेकों के लिए पुनः ऑकशन करने की आवश्यकता नहीं है। ठेकेदार चाहें तो सरकार के समक्ष ठेके की अवधि दो माह के लिए बढ़ाए जाने का आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए सरकार ने स्वयं ही स्वीकृति प्रदान की है।

 

 

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क्या कहा था ठेकेदारों ने

ठेकेदारों ने कोर्ट से कहा था कि मार्च माह के अंत तक जब ठेके इत्यादि में उनकी ओर से भाग लिया गया था, उस समय महामारी इतनी भयानक स्थिति में नहीं थी। लिहाजा जिस बढ़ी हुई राशि पर उन्होंने ठेके लिए हैं, वे अत्यंत अधिक हैं और इसलिए कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए उन्हें ठेके से बाहर आने दिया जाए और उनके द्वारा जमा धरोहर राशि वापस दी जाए और शराब के ठेकों का पुनः आकशन किया जाए।

 

सरकार को मिलता है 17 प्रतिशत राजस्व

राज्य सरकार को शराब ठेकों से कुल राजस्व का 17 प्रतिशत राजस्व हर साल प्राप्त होता है। कोविड-19 के चलते जब अन्य स्रोतों से राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा था, ऐसी स्थिति में सरकारी खर्चे चला पाना सरकार के लिए अत्यंत कठिन हो गया था।

 

ऐसे चला था विवाद

मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं व राज्य सरकार की बहस 29 जून को पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। ठेकेदारों ने कोरोना काल में शराब दुकानें लंबे समय तक बंद रहने के बावजूद सरकार की ओर से ठेकों की राशि कम न करने को चुनौती दी थी।

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