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बिजली उपभोक्ताओं के खाते में जाएगी सब्सिडी राशि! 

प्रदेश सहित पांच राज्यों की बनी एक्सपर्ट कमेटी

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sudarshan@123 kumar

Jan 01, 2017

bijli company

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जबलपुर। रसोई गैस की तरह बिजली उपभोक्ताओं के खाते में सब्सिडी ट्रांसफार की तैयारी चल रही है। ऊर्जा मंत्रालय ने मप्र सहित देश के पांच राज्यों के बड़े अधिकारियों की अगुवाई में एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है। जनवरी में कमेटी ऊर्जा मंत्रालय को रिपोर्ट देगी। बिजली की डिमांड कंजम्पशन बढ़ाने के तरीके बताएगी। सुझाव देगी कि कैसे रसोई गैस की तरह बिजली बिल पर दी जा रही सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में ट्रांसफर होगी। योजना लागू हुई तो बिजली कंपनियां सब्सिडी के नाम पर खेल नहीं कर पाएंगी।

प्रदेश में राज्य सरकार कृषि सिंचाई पंप पर सब्सिडी देती हैं। अभी 2.74 लाख अस्थाई और एक लाख से अधिक उपभोक्ता स्थाई कृषि सिंचाई पंप कनेक्शन योजना से जुड़े हैं। इनसे प्रति एचपी 1400 रुपए वार्षिक दर से बिल लिया जाता है। जबकि राज्य सरकार 3300 रुपए प्रति एचपी की दर से कंपनियों को सब्सिडी का भुगतान करती है। 2013-14 में पूर्व क्षेत्र द्वारा कृषि पंपों का कागजों में भार बढ़ाकर राज्य सरकार को सब्सिडी के तौर पर 430 करोड़ रुपए की चपत लगाई गई थी। मामला लोकायुक्त में लंबित है।

ये है मकसद
नीति आयोग और उद्योग क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट राज्य सरकारों से सब्सिडी का बोझ घटाने, दुरुपयोग रोकने, पावर डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटीज को मजबूत बनाने में जुटे हैं। एक्सपर्ट कमेटी को बिजली में भी रसोई गैस की तरह दी जा रही सब्सिडी लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इन बिंदुओं पर देनी है रिपोर्ट
उपभोक्ता के खाते में सब्सिडी ट्रांसफर का तरीका बताना।
डीबीटी से राज्य सरकारों को सिर्फ उपभोक्ताओं द्वारा खपत बिजली पर ही सब्सिडी देनी होगी।
राज्य नियामक आयोग हर वित्तीय वर्ष में सब्सिडी की घोषणा करता है। राज्य सरकारों को हर तीन महीने में वितरण कंपनियों को भुगतान करना पड़ता है। अभी ग्रामीण क्षेत्रों में नेट इलेक्ट्रिसिटी मीटरिंग की व्यवस्था नहीं है। कमेटी को इस बिंदु पर भी रिपोर्ट देनी होगी।

पहली बार 11,421 मेगावाट बिजली की मांग
प्रदेश में दिसंबर में बिजली की मांग में रोज नए रिकॉर्ड बने। पहली बार बिजली की मांग 11,421 मेगावाट से ऊपर पहुंची। आठ दिन एेसे रहे जब मांग 11 हजार के पार रही। पिछले साल दिसंबर में ही अधिकतम मांग 10892 मेगावाट पहुंची थी, जो कंपनी के इतिहास में सर्वाधिक थी। इस बार ये भी रिकॉर्ड टूट गया। 12 दिसंबर को पहली बार मांग 11067 मेगावाट पहुंची और महज 13 दिन में रिकॉर्ड 11421 मेगावाट तक पहुंच गई। प्रदेश में 23 दिसंबर को सुबह सवा नौ बजे सर्वोच्च मांग का रिकार्ड बना।