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जबलपुर। कम बारिश और मेंटीनेंस के चलते प्रदेश में बिजली संकट गहराने लगा है। शनिवार और रविवार को बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए पावर एक्सचेंज और पावर बैंकिंग के तहत दी गई दूसरे राज्यों से बिजली लेनी पड़ी। शनिवार को गुजरात से १०० मेगावाट बिजली लेनी पड़ी। प्रदेश में अभी अधिकतम डिमांड ७५०० मेगावाट पहुंच रही है। बरगी सहित ९१७ मेगावाट क्षमता वाली सभी जल विद्युत इकाइयों में उत्पादन ठप है। ऐसा पहली बार है जब सिंचाई और पेयजल के आगामी संकट को देखते हुए विद्युत उत्पादन बंद करना पड़ा हो। डिमांड बढऩे और कई यूनिट में उत्पादन ठप होने से बना संकट है।
इस कारण बढ़ा संकट
सारिणी की एक यूनिट में आग लगने से २२० मेगावाट का उत्पादन ठप
सारिणी यूनिट की मेंटीनेंस और आग के चलते कुल ८८० मेगावाट का उत्पादन ठप
सिंगाजी में ६०० मेगावाट की यूनिट बंद
बिरसिंगपुर में कोयले की कमी से ४२० मेगावाट की इकाई बंद
९१७ मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन पूरी तरह बंद
शाम को ज्यादा डिमांड
प्रदेश में शाम छह बजे से रात १० बजे के बीच सबसे अधिक बिजली की डिमांड पहुंच रही है। अमूमन जून से सितम्बर तक जल विद्युत इकाइयों से अधिकतम बिजली उत्पादन होता है। बिरसिंगपुर में कोयले की कमी से ४२० मेगावाट बिजली का उत्पादन बंद करना पड़ा। गर्मी और कम बारिश के चलते ७५०० मेगावाट बिजली डिमांड अगस्त में ही पहुंच गई। वहीं प्रदेश की ताप विद्युत इकाइयों के उत्पादन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनका पावर प्लांट लोड फैक्टर जुलाई में महज २९.६ प्रतिशत था। जबकि, यह ८५ प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए।
फैक्ट्स-
प्रदेश में बिजली डिमांड-अधिकतम ७५०० मेगावाट
प्रदेश में उत्पादित हो रही बिजली-२४७३ मेगावाट
एनटीपीसी और अन्य साधनों से मिल रही बिजली-४३८४ मेगावाट
ताप विद्युतगृहों के मेंटीनेंस, सारिणी में आग लगने और बारिश न होने से जल विद्युत इकाइयों से उत्पादन न होने के चलते कुछ बिजली की आपूर्ति कम हुई है। लेकिन, संकट जैसे हालात नहीं हैं। निजी कंपनियों और पावर बैंकिंग से डिमांड पूरी की जा रही है।
- संजय कुमार शुक्ला, एमडी, पावर मैनेजमेंट कंपनी

Published on:
28 Aug 2017 09:07 am
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