
युवा इंजीनियरों बनाई अनोखी मशीन जिससे खेती के 3 काम होंगे एक साथ (सोर्स: पत्रिका फाइल फोटो)
ridge planter with drip line installer machine: खेती-किसानी को आसान और लाभकारी बनाने की दिशा में युवा किसानों के साथ वैज्ञानिक भी अविष्कारों में जुटे हैं। हाल ही में जबलपुर की जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अभियंत्रिकी महाविद्यालय के इंजीनियरों ने एक ऐसी मशीन का निर्माण किया है जो खेती के तीन काम एक साथ कर सकती है। इससे समय बचेगा, किसानों के खर्च में भी कटौती होगी। किसानों को मजदूरों की निर्भरता से छुटकारा मिलेगा।
इंजीनियरों ने बैटरी-संचालित रिज प्लांटर विद ड्रिप-लाइन इंस्टॉलर यंत्र बनाने में सफलता हासिल की है। यह मशीन रिज निर्माण, बुवाई और ड्रिप लाइन को एक ही समय में तैयार करने में मददगार है। मशीन को छोटे और सीमांत किसानों की जरूरतों को ध्यान में रख डिजाइन किया गया है, ताकि सीमित संसाधनों में उन्हें अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके। खास यह है कि इस अविष्कार को केंद्र सरकार से पेंटेट भी मिल गया है। पारपरिक विधि में प्रति हेक्टेयर 2-3 श्रमिक लगते थे। इस यंत्र को एक ऑपरेटर संचालित करता है। मशीन मिट्टी के कटाय को कम करने में सक्षम है।
कृषि अभियांत्रिकीय महाविद्यालय के डीन डॉ. अतुल श्रीवास्तव ने बताया मशीन के उपयोग से श्रम, समय और संचालन लागत में कमी आएगी। बुवाई से लेकर बीज वितरण जैसी प्रक्रियाएं एक ही समय में आसानी से की जा सकेंगी।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीके मिश्रा ने कहा कि यह मशीन सब्जी उत्पादक किसानों के लिए वरदान साबित होगी। इसकी खासियतों को देख हमें पेटेंट हासिल हो गया है, जो कि हमारे वैज्ञानिकों के लिए गौरव की बात है।
रिज प्लांटर, ड्रिप लाइन इंस्टॉलर युक्त यह मशीन में 48 वोल्ट, 1000 यॉट की ब्रशलेस डीसी मोटर लगाई गई है। यह 52 एच की लिथियम आयन बैटरी से संचालित होती है। एक बार चार्ज होने पर मशीन लगातार 4-5 घंटे तक कार्य करने में सक्षम है। लगभग एक हेक्टेयर भूमि को कवर कर सकता है। यंत्र का ढांचा हल्के माइल्ड स्टील से बना है। डिजाइन एर्गोनोमिक है। एक ही व्यक्ति चला सकता है। यह मशीन एक ही समय में तीन अलग-अलग कार्य कर सकती है।
डॉ. कुणाल भेलावे और टीम ने अधिष्ठाता डॉ. अतुल श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में मशीन तैयार की है। प्रयोगशाला परीक्षणों में बीज वितरण की सटीकता के मामले में क्वालिटी ऑफ फीड इंडेक्स 85% से अधिक आंका गया है। मैदानी परीक्षणों में 74.3% की क्षेत्रीय दक्षता और 0.080 हेक्टेयर प्रति घंटे की कार्य क्षमता दर्ज की गई।
Updated on:
29 May 2025 10:41 am
Published on:
29 May 2025 10:33 am
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