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रेलवे में क्लर्क को जालसाज ने 350 रुपए वापस पाने यूआरएल भेज, मोबाइल किया हैक, शिकायतों के बीच निकाल लिए 1.60 लाख रुपए

-बैंक और स्टेट सायबर में तुरंत शिकायत का भी नहीं मिला कोई लाभ, घंटों डिटेल और प्रक्रिया में उलझाया

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जबलपुर। सायबर फ्रॉड की तुरंत शिकायत पर पैसे होल्ड का दम भरने वाली स्टेट सायबर सेल और बैंक प्रबंधन की प्रक्रिया का पालन कराने के बीच में जालसाज ने रेलवे क्लर्क के खाते से 1.60 लाख रुपए निकाल लिए। पीडि़त खाते से निकल रहे रकम के मैसेज दिखाते हुए बैंक से स्टेट सायबर सेल के कार्यालय में परेशान होता रहा और दोनों ही विभाग त्वरित मदद नहीं कर पाए। पीडि़त का एक ई-कामर्स साइट पर 350 रुपए फंसा था। इसी को वापस पाने उसने कस्टमर केयर और ई-मेल के माध्यम से शिकायत की थी। जालसाज ने कॉल कर उसे पैसे पाने यूआरएल भेजा और फिर उसका मोबाइल हैक कर इंटरनेट बैंकिंग से पैसे निकाल लिए।
यूपी झांसी मूलत: निवासी अविनाश शर्मा रेलवे में क्लर्क हैं। वे साउथ सिविल लाइंस में रहते हैं। कुछ दिनों पहले उन्हें एक ई-कामर्स साइट से मेल आया। खरीदी करने के बाद उन्हें सामान पंसद नहीं आया तो वापस कर दिया। इसके एवज में उनका 350 रुपए वापस नहीं हुआ। कस्टमर केयर नम्बर पर बात की तो एक मेल आया। इसमें दिए गए मोबाइल नम्बर 9910917558, 8250019631 पर 31 अगस्त को बात की। उधर से परिचय दिया गया कि वह विजय मिश्रा ई-कामर्स कम्पनी से बात कर रहा है। पैसे वापस के लिए बैंक खाता देना होगा। मना करने पर उसने क्विक पे एप डाउनलोड करने के लिए कहा। इस बार भी अविनाश ने मना कर दिया। फिर उसने एक लिंक भेजा और कहा कि इसमें डिटेल भर दीजिए, पैसा वापस आ जाएगा। ऐसा करने पर एक एप डाउनलोड हुआ और उसका मोबाइल हैक हो गया। उसके खाते से इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से 4999 रुपए निकला। वह तुरंत सिविल लाइंस थाने और फिर एसबीआई पहुंचा। वहां बैंक मैनेजर से खाता होल्ड कराने के लिए कहा, लेकिन बताया गया कि पहले लिखित आवेदन और थाने की शिकायत दो, तब खाता होल्ड कर पाएंगे। अविनाश वहां से रामपुर स्थित स्टेट सायबर सेल पहुंचा। वहां उसे एक घंटे तक उलझाए रखा गया। पैसे रोजर-पे में ट्रांसफर हुए थे। ट्रांजेक्शन डिटेल के लिए उसे फिर बैंक भेजा गया। ट्रांजेक्शन डिटेल रोजर-पे के नोडल अधिकारी को भेजा गया। वहां से बताया गया कि पैसा एरोन-पे नाम के एप में ट्रांसफर कर लिया गया। उसके नोडल अधिकारी ने कोई मदद नहीं की। एक सितम्बर को वह फिर स्टेट सायबर सेल पहुंचा। 10 हजार रुपए पेटीएम में ट्रांसफर हुआ था, जिसे होल्ड कराया जा सका। 1.50 लाख रुपए जालसाज ने विभिन्न एप और खातों में ट्रांसफर कर रकम निकाल ली। प्रकरण में स्टेट सायबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच में लिया है।

IMAGE CREDIT: patrika

ठगी से बचना हो तो ये करें-
-ठगी होने पर तुरंत सायबर कार्यालय पहुंच कर शिकायत करें।
-इंटरनेट बैंकिंग के दौरान स्वयं के मोबाइल और डेटा का प्रयोग करें।
-गोपनीय पासवर्ड स्पेशल कैरेक्टर, अल्फा, न्यूमेरिक का उपयोग करके बनाएं।
-राशि के ट्रांजेक्शन से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि राशि प्राप्त करने वाला खाताधारक वास्तविक है या नहीं।
-किसी अनजान सोर्स पर ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया संचालित न करें।
-कोई भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
-किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ बैंक सम्बंधी पासवर्ड या प्रोफाइल शेयर न करें।
-अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन न करें। न ही कोई एप्स इंस्टॉल करें।
-अनजान व्यक्ति द्वारा भेजा गया मैसेज भी किसी नम्बर पर फॉवर्ड न करें।