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रथ में विराजे 24 तीर्थंकर भगवान, शहर मेंं निकली भव्य शोभायात्रा

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव: समापन पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

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पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव: समापन पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव: समापन पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

जबलपुर। भक्तिमय माहौल में श्रीमज्जिनेन्द्र आदिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व विश्वशांति महायज्ञ गजरथ महोत्सव के अवसर पर रविवार को भव्य शोभायात्रा निकली। रथ में विराजे 24 तीर्रंकर भगवान के दर्शनार्थ श्रावकों की भीड़ उमड़ पड़ी। मुनिपुंगव सुधा सागर, मुनि पूज्य सागर, ऐलक धैर्य सागर व छुल्लक गंभीर सागर के सान्निध्य में निकली गुरुदेव के गगनभेदी जयघोष के बीच शहीद स्मारक परिसर, गोलबाजार से श्री दिगम्बर जैन शासनोदय तीर्थ क्षेत्र, हनुमानताल तक भव्य शोभायात्रा निकली।
पंचकल्याणक महोत्सव में प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी प्रदीप भैया सुयश, अशोक नगर व ब्रह्मचारी रवींद्र भैया ने रविवार को प्रात: साढ़े चार बजे से मंगलाष्टक, दिग्बंधन, रक्षामंत्र, शांतिमंत्र, नित्यमय अभिषेक, शांतिधारा पूजन के अनुष्ठान सम्पन्न कराए। अग्निकुमार देवों का आगमन, नख-केश विसर्जन, सिद्ध गुणारोपण विधि, सिद्ध पूजन, मोक्ष कल्याणक पूजन, विश्वशांति महायज्ञ व मुनिश्री के प्रवचनों की अमृतवर्षा से वातावरण मनमोहक हो गया।
गजरथों से हुई रत्नों की वर्षा-रथोत्सव के गजरथों से रत्नों की वर्षा शुरू हो गई। पुरुष वर्ग सफेद वस्त्र व स्त्री वर्ग केसरिया वस्त में महोत्सव को आभा प्रदान कर रहे थे। जैन नवयुवक सभा, श्री दिगम्बर जैन पंचायत सभा, राष्ट्रीय जैन युवा महासंघ, आदिनाथ संस्था के पदाधिकारियों ने व्यवस्था बनाने में विशेष योगदान दिया। गौरव अध्यक्ष ङ्क्षसघई कैलाश चंद्र जैन, पंच कल्याणक महोत्सव प्रभारी सुनील मंगलाहाट व ङ्क्षसघई राजेंद्र जैन मम्मा के मार्गदर्शन में युवा टोली अपने-अपने दायित्व के निर्वहन में प्राणपण से सचेष् थी।
1542 से 1548 तक की मूर्तियां-

मुकेश फडणीस, अनुराग गढ़ावाल व जलज जैन ने बताया कि श्री दिगम्बर जैन शासनोदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र, हनुमानताल के पार्शवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर 15 वीं शताब्दी का मंदिर है। जिनालय में 1542 से 1548 तक की प्राचीन मूर्तियां विराजमान हैं। कलचुरी कालीन कलापूर्ण आकृति से युक्त भगवान आदिनाथ की मनोहारी प्रतिमा राजा कर्ण के समय की है। 2011 में मुनिपुंगव सुधासागर के मार्ग-निर्देशन में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। आदिनाथ भगावान की प्रतिमा को नवीन आसन में विराजमान किया गया। इसी के साथ देवों द्वारा केसर की वृष्टि प्रारंभ हो गई और आदिनाथ भगवान नगर के इष्ट देवता के नाम से जाने जाने लगे।
जिज्ञासा समाधान -

सायं छह बजे से आचार्य भक्ति, जिज्ञासा समाधान व सामूहिक आरती हुई। संजीव चौधरी, नीलेश ङ्क्षसघई, प्रदीप एचबी, आनंद ड्योडिया, योगेंद्र कुमार जैन, मनीष पंडित, दीना लोहा, देवेंद्र मुंशी, पदम भक्ताम्बर, अमित जैन, मोनू सहारा, मिङ्क्षलद जैन, मनीष कौशल, विवेक जैन, प्रदीप मिश्रा, कल्याणमल जैन, राकेश दाऊ, राकेश राकेन्दु, शैलेष चौधरी, पवन बहूरानी, सुभाष जतारा, विवेक जैन उपस्थित थे। अमित पडरिया ने संचालन किया।