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corona attack- यहां कदम-कदम पर सरकारी मशीनरी फेल, बेड ढूंढऩे के लिए करनी पड़ रही मारामारी

locationजबलपुरPublished: Sep 19, 2020 07:21:31 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में कम्पलीट डेडीकेटेड हॉस्पिटल नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे कोरोना संक्रमित
 

Corona

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जबलपुर। सरकारी मशीनरी पूरी तरह फेल हो जाने का खामियाजा जबलपुर में कोरोना संक्रमितों को भुगतना पड़ रहा है। यहां निजी अस्पतालों ने लूट मचा रखी है। सरकारी अस्पतालों में कोविड केयर सेंटर प्रताडऩा घर से कम नहीं हैं। यहां भर्ती होने के बाद मरीज खुद ही चिल्ला-चिल्लाकर कहता है, उसे घर भिजवा दो। इन सबके बीच नेताओं, अफसरों ने आम लोगों को पूरी तरह से उनके हाल पर छोड़ दिया है।

हालात बता रहे हैं कि कोरोना संक्रमित को भर्ती होने की जरूरत होने पर अभी अलग-अलग अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। डेडीकेटेड हॉस्पिटल होने पर मरीज सीधे वहां पहुंचते। अभी भटकने में समय बर्बाद होने से उपचार में देर हो रही है। अलग-अलग अस्पताल में पॉजिटिव और सस्पेक्ट के लिए खाली बिस्तर की जानकारी जुटाना जटिल है। एक ही अस्पताल में कोविड और नॉन कोविड मरीज रखने से दूसरे व्यक्तियों को वायरस ट्रांसमिशन का खतरा मंडरा रहा है। अस्पताल अपने अनुसार कोविड शुल्क वसूल रहे हैं। नि:शुल्क उपचार की पात्रता वालों से भी फीस ले रहे हैं। दूसरे जिले से बेहतर उपचार के लिए आ रहे लोगों की उम्मीद बिस्तर ढूंढऩे की मारामारी में ही टूट जा रही है। प्रमुख अस्पतालों में कोविड वार्ड बनने के बाद नॉन कोविड गम्भीर बीमारी के पीडि़त को उपचार नहीं मिल पा रहा है। दूसरी बीमारियों से पीडि़त गम्भीर मरीज आने पर निजी अस्पताल उसका उपचार करने में आनाकानी कर रहे हैं। डेढ़ महीने में चार गुना बढ़ी मौत। जुलाई तक 29 संक्रमित की मृत्यु हुई थी। अब आंकड़ा बढ़कर 120 हो चुके हैं। आम लोगों का कहना है कि जबलपुर शहर में जांच की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। इलाज का तो भगवान ही मालिक है। लोग यदि बच रहे हैं, अपने कोशिशों से। सरकारी कोशिशें तो अब बंद ही कर दी गई हैं।

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