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house: हजारों के सिर पर छत नहीं, इनके घर आने से पहले दम तोड़ देती हैं योजनाएं

विश्व पर्यावास दिवस : विस्थापितों को आशियाने का इंतजारआवासों के आवंटन में ढुलमुल रवैयाहजारों परिवारों को अब भी नसीब नहीं सिर पर छत

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Municipal Corporation Singrauli: houses of poor were allotted to rich arbitrarily

Municipal Corporation Singrauli: houses of poor were allotted to rich arbitrarily

जबलपुर। बरसात में तिरपाल से पानी टपकता है, गर्मी में लू के थपेड़े झेले, अब फिर ठंड का सीजन शुरू होने को है। मदनमहल पहाड़ी के विस्थापितों को तिलहरी में रहते दो साल हो गए, परंतु अब भी उन्हें अपने आशियाने का इंतजार है। पीएम आवास योजना के तहत भवनों का निर्माण शुरू हो गया, परंतु रोजगार से लेकर आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर का उनके सामने संकट है। उन्हें सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीवों का खतरा रहता है। बच्चों को पढऩे दूर जाना पड़ता है। शहर में बड़ी संख्या में जरूरमंद परिवार आज भी कच्चे मकान और झुग्गी बस्तियों में रहने को मजबूर हैं। आवास योजना के तहत पिछले वर्षों में बने भवनों के आबंटन में नगर निगम का ढुलमुल रवैया बरकरार है। नतीजतन पुरवा, लेमा गार्डन जैसी कई साइट में हितग्राहियों के भवनों पर अवैध कब्जा हो गया है।

इतनी आवश्यकता
एक अनुमान के अनुसार नगर में तीस हजार से ज्यादा जरूरतमंदों को भवनों की आवश्यकता है। जबकि पीएम आवास योजना के तहत अलग-अलग साइट में पंद्रह हजार के लगभग भवन निर्माणाधीन हैं। जिनमें से सात हजार
से ज्यादा भवनों का निर्माण हितग्राही स्वयं कर रहे हैं। आठ हजार से ज्यादा भवन निगम 6 अलग साइट में बना रहा है।

सर्वे कर हो आबंटन
जानकारों का मानना है कि पीएम आवास योजना के भवनों के आबंटन के लिए सर्वे की प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। जिससे वास्तविक हितग्राहियों का सही डाटा तैयार हो सके।

आवास योजनाओं की समीक्षा करेंगे, जिससे निर्माण कार्यों को गति मिले और जरूरतमंद हितग्राहियों की भवन से सम्बंधी जरूरत पूरी हो सके।
- अनूप कुमार सिंह, आयुक्त, नगर निगम