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high court ने पूछा- एसटीएफ की रिपोर्ट पर क्यों रद्द की स्टेनो, टायपिंग की परीक्षा, जानिए पूरा मामला

शीघ्रलेखन, मुद्रलेखन बोर्ड की 2013 की परीक्षा का मामला, महज एक प्रकरण दर्ज होने पर निरस्त की गई थी परीक्षा

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जबलपुर। प्रदेश में परीक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल उठा है। अब मामला मप्र शीघ्रलेखन, मुद्रलेखन बोर्ड का है। बोर्ड ने वर्ष 2013 में आयोजित परीक्षा को अचानक रद्द कर दिया था। इस मामले में एक युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर बोर्ड के निर्णय को चुनाती दी थी। इस याचिका पर शुक्रवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने एसटीएफ द्वारा दर्ज प्रकरण के आधार पर परीक्षा निरस्त करने को दी गई चुनाती पर संजीदगी दिखाई। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की कोर्ट ने सरकार से मसले पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
अधिकांश सरकारी विभाग में कार्यरत
टाइपिंग परीक्षा रद्द करने के मामले में जबलपुर निवासी ज्योति कोष्टी ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उसने व प्रदेश के हजारों छात्रों ने 2013 में मप्र शीघ्रलेखन, मुद्रलेखन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में भाग लिया। 2947 छात्र इसमें उत्तीर्ण हुए। इनमें से अधिकांश विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं।
सिर्फ एक अपराधिक प्रकरण
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अतुलानंद अवस्थी व रामेश्वर पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि एसटीएफ ने इस परीक्षा से जुड़े एक मामले में अपराधिक प्रकरण दर्ज किया । इसके आधार पर सरकार ने 5 अगस्त 2017 को इस परीक्षा को ही निरस्त कर दिया। उन्होंने इस कदम को अवैधानिक बताया। उनका कहना है कि महज एक अपराधिक प्रकरण दर्ज होने से पूरी परीक्षा पर सवाल खड़े नहीं किए जा सकते।
बिना जांच के निर्णय कर लिया
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया गया कि शीघ्रलेखन और मुद्रलेखन बोर्ड ने परीक्षा निरस्त करने के मामले में हड़बड़ी की है। जांच के बिना ही परीक्षा रद्द करने का आदेश जारी कर दिया है। जबकि होना ये चाहिए था कि किसी भी निर्णय से पहले बोर्ड मामले की जांच रिपोर्ट आने का इंतजार करता। इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार, मप्र शीघ्रलेखन व मुद्रलेखन बोर्ड को मामले पर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।