निजी स्कूलों की मनमानी फीस को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई (court hearing) शुरू हुई। कोर्ट ने फिलहाल सीबीएससी से अपना पक्ष मांगा है, इसके बाद 10 अगस्त को फाइनल फैसला लिया जाएगा। हालांकि फिलहाल निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूल पाएंगे। बस, कैंपस के चार्जेंस समेत अन्य कोई चार्जेस नहीं ले पाएंगे।
नागरिक उपभोक्ता मंच के याचिकाकर्ता अवनीश उपाध्याय ने कहा है कि आज कोई आदेश जारी नही हुआ है। सरकार की तरफ से जवाब में कहा गया है कि निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूलेंगे, यह आदेश भी पहले ही दिया जा चुका है। इसके बाद निजी स्कूल कोर्ट पहुंचे, लेकिन उन्हें स्टे नहीं दिया गया है। सीबीएससी और माध्यमिक शिक्षा मंडल का जवाब 10 अगस्त तक माना है।
इससे पहले जुलाई के पहले सप्ताह में भी इसी मुद्दे पर सुनवाई शुरू हुई थी। जिसके बाद कोर्ट ने 27 जुलाई को सभी पक्षों को बुलाया था। उस समय हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगलपीठ के समक्ष राज्य की निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली (privet school fees) के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी। इसके अलावा अब फीस से जुड़े इंदौर और ग्वालियर बेंच में लगाई गई याचिकाओं को भी जबलपुर ट्रांसफर कर दिया गया था। सभी याचिकाओं पर एक साथ फैसला होना है।
सभी याचिकाओं को किया मर्ज :-:
मध्यप्रदेश के निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली के खिलाफ दायर सभी जनहित याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर में हो रही है। इंदौर बेंच ने निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क भी लेने की स्वतंत्रता देते हुए राज्य शासन के सिर्फ शिक्षण शुल्क वसूलने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी थी। जबकि हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर ने इसी तरह की एक याचिका पर शिक्षण शुल्क के अलावा अन्य शुल्क वसूले जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। ऐसे दो विरोधाभासी अंतरिम आदेश हुए हैं। इसके कारण अब निजी स्कूल की फीस संबंधी सभी याचिकाएं जबलपुर में ही सुनी जाएंगी।
यह है मामला :-:
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डा. पीजी नाजपांडे व अन्य ने एक अंतरिम आवेदन के जरिए इंदौर बैंच के सिर्फ शिक्षण शुल्क वसूलने संबंधी अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। इंदौर बेंच ने विरोधाभासी दो आदेशों के कारण कोई आदेश पारित न करते हुए मामले को मुख्य पीठ ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था।