
जबलपुर. हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य और आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी व अन्य से पूछा है कि बकस्वाहा में हीरा खनन के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति कैसे दी गई? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
जबलपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप कुमार सेनी ने कोर्ट को बताया कि छतरपुर के बकस्वाहा जंगल के बीच दबे 50 हजार करोड़ के हीरे हासिल करने के लिए ढाई लाख से अधिक हरे-भरे पेड़ों को काटने की तैयारी कर ली गई है।
हीरा के लिए रिपोर्ट तक बदली जा रही हैं। पहले के सर्वे में इस जंगल में जो जंगली प्राणी पाए जाते थे, वे अब नदारद बताए जा रहे हैं। इसे लेकर आंदोलन भी शुरु हो गया है वन अधिकार कार्यकर्ता इस क्षेत्र में रहने वाले वन्य प्राणियों के हित को देखते हुए पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं।
एनजीटी में सुनवाई कंपनी को 30 तक देना होगा जवाब
बकस्वाहा जंगल की जमीन मध्यप्रदेश शासन ने हीरा खनन करने वाली कंपनी को देने के विरोध में एनजीटी में गुना के अभिभाषक पुष्पराग शर्मा ने एक याचिका दायर की है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद एनजीटी ने हीरा खनन करने वाली कंपनी को आगामी 30 जून तक अपना जवाब मय शपथ-पत्र के साथ पेश करने के निर्देश दिए हैं।
Published on:
18 Jun 2021 09:50 am
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