
जबलपुर के अपर कलेक्टर अनूप कुमार सिंह
जबलपुर. एक ऐसी दर्दनाक कहानी जिसे सुन कर दिल भर आए, एक आईएएस अफसर ने अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्षरत मां की सेवा के लिए कलेक्टर पद को नकार दिया। हालांकि आईएएस पुत्र के दिन रात बिना रुके और बिना थके सेवा करने और डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी मां को बचाया नहीं जा सका। वह अस्पताल में 35 दिन रहीं जिसमें से पिछले नौ दिन से वेंटिलेटर पर थीं। यह आईएएस यूपी के कानपुर के मूल निवासी हैं।
जानकारी के अनुसार ये आईएएस अफसर अनूप कुमार सिंह जबलपुर में अपर कलेक्टर रहे। विधानसभा उपचुनाव के बाद उन्हें दमोह का कलेक्टर पद सौंपा गया था, लेकिन बीमार मां की सेवा के लिए उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। 2013 बैच के आईएएस अनूप कुमार सिंह मां रामदेवी को 13 अप्रैल को ग्वालियर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। एक से ज़्यादा बार हुए कोविड टेस्ट में पहले उनकी रिपोर्ट पहले निगेटिव, फिर पॉज़िटिव और बाद में फिर निगेटिव आई थी।
जानकारी के मुताबिक मंगलवार को रामदेवी ने ग्वालियर अस्पताल में ही आखिरी सांस ली। बताया जा रहा है कि वह करीब नौ दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। इस दौरान डायलिसिस भी होती रही। डॉक्टरों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी उन्हें बचाने में। आईएएस बेटे ने भी सारा काम छोड़कर हर संभव प्रयास किया। बावजूद इसके रमादेवी को बचाया न जा सका। रामदेवी का शव कानपुर ले जाया गया।
Published on:
19 May 2021 02:25 pm
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