दूसरी ओर गांव के बेरोजगार युवाओं को भी यह उम्मीद है कि गांव में सोना निकलेगा, तो जिदंगी बदल जाएगी। कंपनियां लगेंगी, तो रोजगार के साधन मिलेंगे, लेकिन जितने बार सर्वे हुआ, उसमे से एक बार भी सोना नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि तंाबा, पीतल और हरिहर तुत जैसी कुछ धातुएं मिली है। इसमें से सोना कितने प्रतिशत है, यह बता पाना मुश्किल है। उल्लेखनीय है कि जीएसआई द्वारा 13 सितंबर 2016 से 1 जनवरी 2017 तक यहां कैंप लगाया था। जीएसआई द्वारा यहां छह स्थानों पर ड्रिलिंग मशीन से खुदाई कर धातुएं निकाली गई थीं। इन धातुओं को लगभग 350 पेटियों में बंद कर गांव के ही 65 वर्षीय अनारीलाल हल्दकार के घर पर सीलकर रखवा दिया है। अनारीलाल के घर रखी इस सामग्री की जांच करने पिछले सात माह से जीएसआई का कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया। हालाकि यहां से निकली धातुओं को जांच के लिए नागपुर लैब में भेजा गया है।