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दिवंगत पति की बेगुनाही के लिए संघर्षरत वृद्धा को नहीं मिल रही फैमली पेंशन, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा कारण

लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग से किया जवाब-तलब  

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Jabalpur High Court

Jabalpur High Court

जबलपुर। हाईकोर्ट ने दिवंगत पति को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रही वृद्धा की याचिका को गम्भीरता से लिया। विशाल धगट की एकलपीठ ने लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग सहित अन्य को नाेटिस जारी कर जवाब-तलब किया। चार सप्ताह का समय दिया गया।

यह है मामला
भोपाल के पास गंजबासौदा की निवासी 75 वर्षीय शीला राजपूत की ओर से अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे व अंचन पांडे ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के पति कमल सिंह राजपूत लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग में उप संचालक के पद पर कार्यरत थे। 2001 में वे सेवानिवृत्त हुए। इससे पहले लोकायुक्त ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। भोपाल की लोकायुक्त कोर्ट ने इस मामले में 2002 में पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसी के साथ उनकी पेंशन रोक दी गई।

दायर की क्रिमनल अपील
पेंशन रोके जाने के खिलाफ विभागीय स्तर पर आवेदन व कोर्ट में क्रिमनल अपील दायर की गई। लेकिन, आवेदन व क्रिमनल अपील पर आदेश से पूर्व ही कमल सिंह राजपूत का निधन हो गया। इसके बावजूद उनकी पत्नी शीला राजपूत ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कोर्ट में आवेदन दायर कर क्रिमनल अपील में पक्षकार बनकर दिवंगत पति को बेगुनाह साबित कराने के लिए इंसाफ की लड़ाई जारी रखी।

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जब मांग पूरी नहीं हुई तो ली हाईकोर्ट की शरण

विभागीय स्तर पर आवेदन के जरिए फेमिली पेंशन चालू किए जाने की मांग की। मांग पूरी नहीं हुई, तो हाईकोर्ट की शरण ली गई।