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पढ़ाई के साथ स्कूल में खेती का भी सबक

स्कूल ने पेश की अनूठी मिसाल, सभी छात्र-छात्राओं को दिया जा रहा कृषि का प्रशिक्षण

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Jabalpur Online

Oct 11, 2015

agricultural education

The school in agricultural farming

जबलपुर।
शहर में एक ऐसा स्कूल है जहां सामान्य पाठ्यक्रम के साथ खेती के भी गुर सिखाए जा रहे हैं। यूं कहें कि कृषि की मौखिक व प्रायोगिक शिक्षा इस स्कूल के छात्र-छात्राओं की पाठक्रम का हिस्सा ही बन गई है। बात हो रही है भेड़ाघाट बाइपास के समीप स्थित ज्ञानगंगा इंटरनेशनल स्कूल की..। कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के इस देश में स्कूल की यह अनूठी पहल अपने तरह की एक मिसाल बन गई है। क्लास में बच्चों के हाथ में हाथों में पेन और पेंसिल होती है, तो गार्डन और खेत में कृषि से जुड़े उपकरणों को वे हाथों के इशारों पर चलाते हैं। छात्र-छात्राएं बेहतर खेती के गुर सीखें, इसलिए कभी उनसे बोवनी कराई जाती है, तो कभी बागवानी। विद्यार्थी इसमें उत्साह के साथ सहभागी बन रहे हैं।

मालियों का प्रशिक्षित स्टाफ

स्कूल में 11 माली का प्रशिक्षत स्टाफ है। इन्हें बागवानी और खेती की पूरी जानकारी है। पहली से 12वीं तक के इस स्कूल में रोटेशन से छात्र-छात्राओं को बगीचे या खेत में ले जाया जाता है। माली के साथ बच्चे भी बागवानी और बोवनी करते हैं।

नन्हें हाथों ने उगाए फल-औषधियां

बच्चों की मेहनत से स्कूल परिसर में बगीचा तैयार हो चुका है। इसमें आम, इमली, नींबू, चीकू, बादाम, संतरा और मौसंबी जैसी फलों के पेड़ और पौधे हैं, तो वहीं औषधी के रूप में यहां कमराक और रुद्राक्ष के पेड़ भी फल-फूल रहे हैं। इस बगीचे में तैयार हुआ एक-एक पेड़ और पौधा छात्रों द्वारा लगाया और तैयार किया गया है।

रिसाइकल पानी से होती है सिंचाई

खेत ओर बगीचे में जो पानी आता है, वह स्वच्छ जल नही होता, बल्कि छात्रावास के अनुपयोगी हो चुके पानी को रिसाइकल किया जाता है। यही पानी खेत और बगीचों में सिंचाई के लिए पहुंचता है। स्कूल की एक और खास बात यह है कि यहां से जो भी स्क्रेप बेचा जाता है, उससे आने वाले राशि से प्रबंधन पौधे खरीदता है।

किताबी ज्ञान से कुछ अलग

स्कूल के प्राचार्य डॉ. आरके चंदेल का कहना है कि पर्यावरण सुरक्षित रखने के साथ ही बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा हुनरमंद बनाना इसका मकसद है। मालियों की टीम के साथ ही कृषि और बागवानी के जानकार शिक्षकों द्वारा बच्चों को खेती और बागवानी का प्रशिक्षण भी स्कूल में दिया जा रहा है।

- वीरेंद्र रजक


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