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हे भगवान : बिना अपराध के ‘जेल’ जाने लगी लम्बी लाइन, मांग रहे ‘जेल की रोटी’

ज्योतिषाचार्यों की सलाह पर जेल योग काटने के लिए एक बार गेट के अंदर जाने लगाई जा रही जुगत

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jail yoga prediction

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  • ज्योतिषाचार्यों की सलाह पर जेल योग काटने के लिए एक बार गेट के अंदर जाने लगाई जा रही जुगत
  • अधिकारी बोले कई बहानों से लोग आते हैं अंदर, चाय पानी और रोटी मांगकर खाते हैं

जबलपुर. जेल जाने की बात सुनकर ही अच्छे-अच्छे बदमाशों की हेकड़ी निकल जाती है। वहीं संभ्रांत परिवारों में जेल जाना सबसे बुरा माना जाता है। इसके बाद भी लोग बिना अपराध, किसी जुर्म के जेल की रोटी खाना चाहते हैं। वे इसके लिए हर जुगत लगा रहे हैं। कि कैसे भी उन्हें एक बार जेल में प्रवेश मिल जाए और वे रोटी खाकर, चाय-पानी पीकर बाहर आ जाएं। दरअसल ये सब विशेष योग के चलते लोग ऐसा कर रहे हैं। वहीं जेल जाने की सलाह भी उनके ज्योतिषाचार्य दे रहे हैं।

बनाते हैं कई बहाने
नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल में प्रतिदिन करीब 50 ऐसे लोग पहुंच रहे हैं जो जेल योग काटने के लिए आते हैं। जेल अधिकारियों ने बताया कई लोग बंदियों के परिजनों के साथ मुलाकात के बहाने, कई जेल में आयोजन करवाने की जानकारी लेने व अन्य किसी न किसी बहाने से जेल गेट के अंदर आते हैं। इनमें वे लोग भी शामिल होते है जिन्हें किसी ज्योतिषि द्वारा जेल योग काटने का टोटका बताया होता है। यहां पांच- दस मिनट रुककर वे लौट भी जाते हैं।

मांगते हैं आधी रोटी, चाय-पानी
जेल के अंदर आने वाले कई लोग खुद ही यहां की रोटी खाने की इच्छा जाहिर करते हैं। पानी, चाय पीने के लिए कहते हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस उद्देश्य से यहां आए हैं। जेल अधिकारी भी उन्हें निराश नहीं करते और उन्हें सहयोग करते हुए समझाइस भी देते हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता है।

जेल योग काटने का टोटका, केवल भ्रांति
कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हर व्यक्ति की कुंडली में कुछ ऐसे योग बनते हैं, जब वह जाने अनजाने में अपराध कर बैठता है। इसी से बचने के लिए यजमानों को जेल में एक बार प्रवेश कर वापस आने की सलाह दी जाती है। इससे उनका जेल योग कटने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं ज्योतिषाचार्य डॉ. सत्येद स्वरूप शास्त्री के अनुसार जन्मकुंडली में अष्टम भाव का नीचस्थ राहु अपनी महादशा एवं अंतरदशा के दौरान जातक के जीवन में प्रवेश करता है तो उसके सामने अनेक संकट खड़ा करता है । इस दशा में झूठे व गंभीर आरोप, बीमारी, दुर्घटना, कर्ज में वृद्धि, अवसाद अथवा जेल जाने की वजह निर्मित होती हैं। इसे ही जेल योग कहा जाता है। जबकि शास्त्रों में ऐसा कहीं वर्णित नहीं है कि जेल जाकर आने से यह कट जाता है। यह केवल एक भ्रांति है, जिसे कुछ लोग बेवजह योग बताकर भ्रमित कर रहे हैं।

बहाने बनाकर आते हैं मिलने
जेल में मुलाकातियों के साथ परिजन बनकर तो कभी समाजसेवियों के साथ आयोजनों की जानकारी लेने या फिर सीधे समस्या बताकर महीने में बहुत से लोग एक बार जेल गेट के अंदर आना चाहते हैं। वे खाने को रोटी, चाय-पानी भी मांग लिया करते हैं। ये सब टोटका है, इसका आधार कुछ भी नहीं है।

  • मदन कमलेश, जेलर, सेंट्रल जेल जबलपुर