जबलपुर

अवैध कॉलोनियां हो गई वैध, हमें छोड़ा मझधार में

सीलिंग की फांस: जेडीए की कॉलोनियां सीलिंग में, 30 साल से रह रहे लोग

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Sep 10, 2023

जबलपुर. प्रदेश शासन ने अवैध कॉलोनियों को वैध कर दिया है। वहीं हम वैध तरीके से जिस जगह पर रहे थे, उन्हें अवैध करवा दिया है। यह कैसा न्याय है। जिस भूखंड को 25 से 30 साल पहले खरीदा था, उसे सीलिंग में कैसे दर्ज किया जा सकता है। यह तो परेशान करने वाली बात है। यह दर्द जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के शक्तिनगर, गुप्तेश्वर और 90 क्वार्टर के लोगों का है।

25 हजार भूखंडधारियों का दर्द

शहर में जेडीए की 15 से अधिक कालोनियों के 25 हजार भूखंडधारियों का यह दर्द है। हर विधानसभा क्षेत्र में प्राधिकारण ने कालोनियां बनाकर रखी हैं। कुछ जगहों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर में बुनियादी सुविधाएं नहीं होती। यह सुविधाएं देने के बजाय लोगों को सीलिंग की मझधार में छोड़ दिया गया है। यह ऐसा चक्रव्यू है जिसमें निकलना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। जेडीए और जिला प्रशासन ऑफिस-ऑफिस खेलते हैं। उन्हें एक जगह से दूसरी जगह भटकाया जा रहा है।

अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे

लोगों का कहना है कि जेडीए और जिला प्रशासन अपनी-अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं। दोनों ही संस्थाओं ने उन्हें बीच में छोड़ दिया है। जमीन का बटवारा और नामांतरण नहीं हो पा रहा है। फ्री होल्ड की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो रही है। जेडीए अपनी तरफ से इसे फ्री होल्ड कर देता है तो भी नामांतरण और बटवारा इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि यह जमीन ही उनकी नहीं है। इनके खसरों में शहरी सीलिंग लिखा है। ऐसे में जेडीए कहता है कि उसकी तरफ से प्रक्रिया पूरी कर दी गई है। आगे की जिम्मेदारी राजस्व न्यायालय की है। जब राजस्व न्यायलय में जाओ तो वहां साफ कहा जाता है कि जब तक सीलिंग शब्द नहीं हटेगा, तब तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है। ऐसे में लोग बीच में फंस गए हैं।

धारा 115 में किया जाना है सुधार

जिलें में सीलिंग यानि अतिशेष भूमि के 1133 प्रकरण हैं। उनमें मध्यप्रदेश शासन नगरीय अतिशेष नजूल लिखा है। लेकिन इन प्रकरणों से जेडीए की जमीन से कोई लेना-देना नहीं था। इनके खसरों में शहरी सीलिंग दर्ज है। इसमें खसरे के कॉलम 12 की कैफियत में सीलिंग लिखा है। जानकारों का कहना है कि इसमें धारा 115 के तहत सुधार हो सकता है। जिला कलेक्टर के माध्यम से इसमें सुधार हो सकता है। वे इसमें सुधार की अनुमति देते है। जेडीए की तरफ से इस तरह के सीलिंग दर्ज वाले भूखंडों के प्रकरण में सुधार के लिए आवेदन तो दे रखे हैं, मगर उसमें सुधार की प्रक्रिया बहुत धीमी है।

यह कैसे न्याय है। हमारी सरकार उन कॉलोनियों को वैध कर रही जिन्हें बिल्डर्स से अवैध ढंग से बनाया था। उनकी तकलीफों को दूर किया जा रहा है। इसमें हम कहां से दोषी हैं। सारी गलती जेडीए और राजस्व अमले की है। उसमें दो दर्जन कॉलोनियों में रहने वाले निवासी कहां जिम्मेदार हैं। अब सीलिंग के दोष से जेडीए ही हमें मुक्त कराए।

आनंद अग्रवाल, शक्तिनगर

राजस्व रिकॉर्ड में ऐसे ही गलती हो जाती है क्या। कोई कुछ भी करता रहे। इस गलती को करने वाले संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इसका जवाब तो शासन को देना पडे़गा। हमारी कहीं से कोई गलती नहीं है। फिर भी अपराधियों की तरह इस कार्यालय से उस कार्यालय भटकना पड़ रहा है। अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं।

सुधील धगट, शक्तिनगर

30 साल पहले हमने प्लॉट खरीदा था। यह सोचा था कि जेडीए के प्लॉट में किसी प्रकार का विवाद नहीं होता है। लेकिन यहां तो उलटा हुआ। हमारे साथ विश्वासघात किया गया है। जिस भूखंड को हमने सामान्य प्लाटिंग से ज्यादा राशि देकर खरीदा उसमें ही गड़बडी निकली। खसरे में सीलिंग दर्ज होने से बटवारा नहीं कर पा रहे है।

आनंद नेमा, शक्तिनगर

इन कॉलोनियों में रहने वाले ज्यादातर भूखंडधारी बुजुर्ग हैं। राजस्व रिकॉर्ड में उनका नाम है। हम तो इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि जब सही वक्त आएगा तो नामांतरण के साथ बच्चों को भूखंड की हिस्सेदारी कर दी जाएगी। यह प्रक्रिया शुरू की तो पता चला जिस जमीन का बटवारा करना चाह रहे हैं, वह अपनी है ही नहीं। वह तो सरकारी दर्ज है।

अरुण मुराव, शक्तिनगर

सरकारी संस्थाएं इस तरह का काम करेंगी तो निजी बिल्डर्स से कितनी उम्मीद की जाए। कई बार यह होता है कि वह जो सुविधाएं कॉलोनियों में दिखाते हैं, वह कई वर्षों तक नहीं मिलती। लेकिन जेडीए जहां भी आवासीय क्षेत्र बनाता है, वहां कम से कम सड़क और बिजली पानी की व्यवस्था रहती हैं मगर अभी हमें दूसरी परेशानी उठानी पड़ रही है।

सुधांशु झा, शक्तिनगर

जिला प्रशासन को इस बात के लिए आश्वास्त करना चाहिए कि जो त्रुटि राजस्व अमले से हुई है, उसका सुधार शीघ्र कर लिया जाएगा। यहां तो सिर्फ भूखंडधारी परेशान है। अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं। वे एक-दूसरे पर मामला टालते हैं। हम चाहते हैं कि इस विषय को लेकर बच्चे परेशान नहीं हों। शासन शिविर के जरिए इनका समाधान करे।

बीएल नामदेव, शक्तिनगर

Published on:
10 Sept 2023 12:54 pm
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