
nagpanchami story
nagpanchami story : शास्त्रों में नागपंचमी के पर्व पर सर्पों की पूजा का विशेष महत्व है। जो सदियों से चली आ रही है, किंतु जानकारी के अभाव और परंपराओं के चलते इस दिन दर्जनों की संख्या में सर्पों की मौत भी हो जाती है, या फिर वे मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नागपंचमी पर सर्पों के प्रतीक चिह्नों की पूजा करनी चाहिए, न कि जीवित सर्पों को दूध पिलाना चाहिए। सर्पों को दूध पिलाने से उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा करने से कई तरह के दोष लग जाते हैं।
मार्कंडेय धाम के ज्योतिषाचार्य पं. विचित्र दास महाराज ने बताया शास्त्रों में प्रतीकात्मक सर्प का पूजन विधान है। ये चांदी, तांबा, लोहा या अन्य किसी धातु से निर्मित हो सकते हैं या फिर दीवारों पर गोबर व हल्दी से बनाकर भी इनका षोडशोपचार पूजन किया जाना चाहिए। ये पूजन उनके सम्मान और प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए उनका आभार व्यक्त करना होता है। साथ ही कई तरह के दोषों से मुक्ति के लिए भी इसकी मान्यता है। सांपों को दूध पिलाना किसी भी शास्त्र में वर्णित नहीं है। ऐसा करने से जीव हत्या का दोष लगता है।
नर्मदा के दक्षिण तट तिलवाराघाट स्थित मार्कंडेय धाम में हर वर्ष की भांति इस बार भी सामूहिक काल सर्प एवं पितृ दोष निवारण पूजन हो रहा है। तिलवाराघाट के दक्षिण तट पर स्थित मार्कंडेय धाम का उल्लेख स्कंद पुराण के रेवा खंड शूल भेद में मिलता है। ये तट पितरों, नाग, गंधर्व व यक्षों निवास माना जाता है। पुराण के अनुसार महर्षि मार्कंडेय ने यहां तपस्या की थी। सदियों पुराना विशाल वट वृक्ष हजारों ऋषि मुनियों की तपोस्थली का गवाह रहा है। इसके नीचे शिवलिंग व वासुकी नागपास यंत्र स्थापित है।
करीब 30 पहले परमहंस सीताराम दास दद्दा महाराज ने मार्कंडेय धाम के रहस्यों व शास्त्रों में उल्लेखित खूबियों से लोगों का परिचय कराया। साथ ही उन्होंने नागपंचमी पर सामूहिक कालसर्प दोष पूजन की शुरुआत भी की। जिसके बाद यह धाम आमजनों के बीच जमकर प्रचारित हुआ। इसके अलावा पितृदोष, नवग्रह शांति अन्य ग्रह बाधाओं के निवारण के लिए भी लोग नर्मदा के इस सिद्ध तट पर आते हैं।
नागपंचमी के अलावा हर माह में पडऩे वाली कृष्ण व शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भी विशेष परिस्थितियों में यहां दोष निवारण पूजन आदि सम्पन्न होते हैं। वैदिक ब्राह्मणों द्वारा ये पूजन 4 से 8 घंटे तक पूरे विधि विधान से सम्पन्न कराए जाते हैं।
nagpanchami story : मार्कंडेय धाम का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। इसकी खासियतों से सीताराम दास दद्दा महाराज ने आमजनों को अवगत कराया था, जिसके बाद लोगों की आस्था इतनी बढ़ी कि जो लोग नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर नहीं जा सकते वे इस धाम में नर्मदा किनारे बैठकर दोष निवारण पूजन कराने लगे हैं।
Updated on:
29 Jul 2025 12:31 pm
Published on:
29 Jul 2025 12:28 pm
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