
lakshmi ji ki aarti anuradha paudwal mp3
जबलपुर। धन धान्य और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली आ गया है। माता के भक्त उनके स्वागत वंदन के लिए एक पखवाड़े से साफ-सफाई रंग रोगन घरों में नई सजावट करने में जुटे हुए हैं। हर तरफ से दिवाली की तैयारियां दिखाई दे रही है। कुछ की तैयारियां संपन्न हो गई है कुछ अभी जारी है। रंग बिरंगी रोशनी से पूरा शहर जगमग आने लगा है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उन्हें मनाने के लिए हर तरफ उत्साह उमंग दिखाई दे रहा है। खासकर बाजारों में खरीदारी को लेकर उम्र पड़ी है। जैसे कोई मुफ्त में बांट रहा है। दीपावली के दिन माता का विधि विधा से पूजन किया जाता है। माता को प्रसन्न किया जाता है। साथ में मंत्रोच्चार के बीच माता की आरती पूजन की जाती है। बिना आरती के माता का पूजन अधूरा होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित जनार्दन शुक्ला के अनुसार आरती यदि विधि विधान से की जाए तो माता अवश्य प्रसन्न होती हैं। साथ ही वे पूजन करने वाले को सुख समृद्धि का आशीष भी देती हैं। इसलिए पूजन विधान के बाद माता की आरती आवश्यक है। आरती करने से पहले यह मंत्र जरूर बोलना चाहिए -
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्
इसके बाद माता का आवान करें। गणेश भगवान का हवन करें। सरस्वती माता का हवन करें और फिर माता लक्ष्मी का आह्वान करते हुए उनकी आरती उतारे। आरती पश्चात तीन बार जल अवश्य घुमाए और पूरे घर में तिजोरी में अन्नपूर्णा यानी किचन में आरती को घुमाते हुए धूप दें। ऐसा करने से माता सुख समृद्धि लेकर निवास करने आती हैं।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
Published on:
06 Nov 2018 10:28 am
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