जबलपुर में अब सामाजिक, धार्मिक आयोजनों में जाने से बच रहे उम्मीदवार
जबलपुर•Apr 14, 2019 / 07:07 pm•
shyam bihari
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जबलपुर। वीआइपी लोकसभा सीट जबलपुर। नर्मदा किनारे बसे इस शहर को धर्मधानी भी कहा जाता है। पूरे शहर में साल भर धार्मिक आयोजनों की बहार रहती है। सामाजिक आयोजन भी होते रहते हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने लोकसभा प्रत्याशियों को बड़े अजीब धर्मसंकट में डाल दिया है। चुनाव आयोग की जिला इकाई ने निर्देश जारी किया है कि उम्मीदवार एवं राजनीतिक दल किसी भी धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम का राजनीतिक प्रयोजन के रूप में इस्तेमाल नहीं करें। ऐसा करने पर कार्रवाई का बड़ा कारण प्रशासन के पास रहेगा। ऐसा करना आदर्श आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन माना जाएगा। एफआइआर दर्ज होने के पूरे कारण प्रशासन के पास होंगे। इसके बाद से प्रत्याशियों में उलझन की स्थिति बन रही है। क्योंकि, धार्मिक आयोजनों में अपनी बात रखने का पूरा मौका रहता है। धर्मगुरुओं की बातों का भी प्रभाव पड़ता है। फिलहाल सभी दलों के उम्मीदवारों ने सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। अपने कार्यकर्ताओं और सहयोगी नेताओं से भी कह दिया है कि आयोजनों में पहुंचें जरूर। वहां के जिम्मेदारों से मुलाकात करें। उनका हालचाल जानें। लेकिन, किसी भी हालत में चुनाव आयोग की नजर में नहीं पड़ें। कार्यकर्ता भी अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरत रहे हैं।
संगठनों की गुपचुप बैठक
चुनाव आयोग की कार्रवाई से बचने के लिए नेताओं ने अलग रास्ता निकाला है। वे समाज के कार्यक्रमों में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में ही जाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। लेकिन, संगठनों के जिम्मेदारों के साथ अलग से बैठकें की जाती हैं। कोशिश की जाती है कि संगठन प्रमुख और नेताजी की बातें सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आने पाएं। संगठन वाले भी अपनी राजनीतिक मजबूरियों का सलीके से पालन कर रहे हैं।
महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी
लोकसभा चुनाव में महिला, पुरुष और महिला-पुरुष और दिव्यांग अधिकारी और कर्मचारियों के लिए मतदान केंद्रों का निर्धारण किया गया है। जिले में 217 मतदान केंद्रों पर पूरा अमला महिलाओं का रहेगा। विशेष केंद्रों का चिन्हांकन भी हो गया है। आठ सुगम मतदान केंद्र बनाए गए हैं, इनमें दिव्यांग कर्मचारी, अधिकारी मतदान कराएंगे। शहर के नेताओं की भी नजर चुनाव प्रबंधन पर है। वे अधिकारियों के सम्पर्क में हैं। उनसे इवीएम और वीवीपैट के बारे में पूरी जानकारी ले रहे हैं। हालांकि, अभी तक जबलपुर में तो इवीएम को लेकर किसी तरह का माहौल नहीं बना है। कहने का मतलब अभी कोई भी प्रत्याशी इवीएम की खामियों पर फिलहाल चर्चा करता नजर नहीं आता।