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Lokayukta को अब 24 घंटे के भीतर करनी होगी FIR अपलोड, MP High Court का अहम आदेश

लोकायुक्त हर प्रकरण की एफआइआर 24 घंटे में सार्वजनिक करे, अगर वेबसाइट नहीं है तो राज्य सरकार या संबंधित प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया मामले में पारित आदेश के परिपालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करे।

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Lokayukta : अब पुलिस की तरह लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना को मामले में 24 घंटे के भीतर वेबसाइट पर एफआइआर की कॉपी अपलोड करनी होगी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने निर्देश दिया कि लोकायुक्त हर प्रकरण की एफआइआर 24 घंटे में सार्वजनिक करे, अगर वेबसाइट नहीं है तो राज्य सरकार या संबंधित प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया मामले में पारित आदेश के परिपालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करे।

Lokayukta : ट्रैप के मामले में एफआइआर की कॉपी नहीं उलपब्ध कराए जाने को लेकर दायर हुई थी याचिका

Lokayukta : रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा

भोपाल निवासी राजेंद्र सिंह की तरफ से दायर की गई याचिका में अधिवक्ता धु्रव वर्मा ने पक्ष रखते हुए बताया कि लोकायुक्त संगठन ने पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यकारी अभियंता के पद पर पदस्थ सुरेश चंद्र वर्मा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। अनावेदक सुरेश चंद्र वर्मा के खिलाफ लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना की ओर से आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। उसने लोकायुक्त में एफआइआर की कॉपी के लिए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन भी दायर किया था। फिर भी उसे एफआइआर की कॉपी नहीं दी गई। याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए थे कि 24 घंटे के अंदर एफआइआर की कॉपी वेबसाइट में अपलोड की जाए।

Lokayukta : वेबसाइट नहीं है तो राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी करे

Lokayukta : जांच पूरी करने के निर्देश की मांग

याचिका में कहा गया था कि अनावेदक सुरेश चंद्र वर्मा ने आरोप पत्र दायर नहीं होने के कारण समयमान वेतन वृद्धि का लाभ दिए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। जिस पर सुनवाई लंबित है। याचिकाकर्ता ने दर्ज प्रकरण की लोकायुक्त को जांच पूरी करने के निर्देश दिए जाने की मांग की। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता का कहना है कि संबंधित मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है। न्यायालय को लगता है कि उक्त मामले में याचिकाकर्ता की रूचि है, जिसका खुलासा नहीं किया जा रहा है। युगलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का परिपालन करते हुए दर्ज एफआईआर को वेबसाइट में अपलोड किया जाए।