
mahatma gandhi speech in hindi
जबलपुर। देश को आजादी दिलाने में सबसे ज्यादा संघर्ष करनेवाले गांधीजी देश के जनमानस में अभी भी रचे-बसे हैं। विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले गांधीजी अब भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। देशवासी उनके आदर्शों पर चलने के लिए आतुर रहते हैं। दो अक्टूबर को उनकी जयंती है और इस मौके पर देशभर की तरह संस्कारधानी में भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दरअसल जबलपुर शहर न केवल राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी के लिए बल्कि गांधीजी से दिली लगाव के कारण भी विशेष स्थान रखता है। बापू का महाकौशल में कई बार आगमन हुआ और उनकी ही याद में इन जगहों पर आज विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं।
टाउन हॉल का नाम गांधी भवन कर दिया
शहर में अनेक इमारतें उनकी स्मृतियों से जुड़ी हैं। टॉउन हॉल या गांधी भवन को आज भी बापू के नाम पर ही याद किया जाता है। हर साल शहरवासी यहां बापू की स्मृति में आते हैं। यहां झंडा सत्याग्रह के दौरान सबसे पहले झंडा फहराया गया था। जिसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों पर जमकर डंडे बरसाए और इसकी लहर गांधीज के आव्हान पर पूरे देश में दौड़ गई थी। झंडा आंदोलन की याद में ही बापू के नाम पर टाउन हॉल का नाम गांधी भवन कर दिया गया। फिलहाल यहां शहर का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। यहां आंदोलन से जुड़ी हुई स्मृतियां अब भी शेष हैं।
सुभाष की तारीफ
जबलपुर का सबसे मशहूर किस्सा बापू की हार से जुड़ा हुआ है। यहां हुए त्रिपुरी अधिवेशन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने महात्मा गांधी ने के प्रतिनिधि सीतारमैया को बुरी तरह हराते हुए कांग्रेसाध्यक्ष का पद हासिल किया था। पर बापू इस हार से विचलित नहीं हुए और अपने प्रतिनिधि की हार के बाद उन्होंने नेताजी की तारीफ भी की थी। इसी की स्मृति में आज भी जबलपुर शहर में कमानिया गेट बना हुआ है। गौरतलब है कि नेताजी ने ही बापू को रेडियो रंगून से 6 जुलाई 1944 में पहली बार राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।

Published on:
01 Oct 2018 01:10 pm
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