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पहले ही राउंड में ढेर हो गए कई इंजीनियरिंग कॉलेज

कई कॉलेज मैं नहीं हुए एक भी एडमिशन, कई दहाई के अंक को भी नहीं छू सके

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college admission

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जबलपुर।
इंजीनियरिंग कॉलेजों की गिरती साख कहे या फिर छात्रों की तकनीकी शिक्षा के प्रति घटता रुझान या फिर कमजोर शिक्षण व्यवस्था कहें जिसके चलते पहले ही राउंड में बीटेक में प्रवेश को लेकर शहर के कई नामी इंजीनियरिंग कॉलेज ढेर हो गए हैं। कई कॉलेजों में जहां एक भी एडमिशन नहीं हुआ है तो वही कई कॉलेज 2 अंक को भी नहीं छू सके हैं। प्रदेश में ही करीब आधा सैकड़ा इंजीनियरिंग कॉलेजों मैं एक भी प्रवेश नहीं हो सका है। यह स्थिति इंजीनियरिंग कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़े कर रही है । तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में आयोजित की गई काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान पहले राउंड में इस तरह से नतीजे ने हैरानी में डाल दिया है तो वही तकनीकी शिक्षा से जुड़े कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इन कॉलेजों की बुरी स्थिति
खालसा इंजीनियरिंग कॉलेज, हितकारिणी इंजीनियरिंग कॉलेज, लक्ष्मीबाई साहू इंजीनियिरिंग कॉलेज, ओरिएंटल कॉलेज, राधास्वामी इंजीनियिरङ्क्षग कॉलेज, सरस्वती इंजीनियरिंग कॉलेज, श्रीराम इंजीनियरिंग कॉलेज, सेटअलायसियस इंजीनियरिंग कॉलेज, तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज शामिल हैं। इसमें से 4 कॉलेजो में बीटेक में एक भी एडमिशन नहीं हुए हैं। 3 कॉलेजों में 2 से 3 एडमिशन हुए हैं। जबकि बाकी कॉलेज10 से 15 एडमिशन हो पाए हैं। जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, ज्ञानगंगा और ग्लो कॉलेज में 75 से 80 फीसदी सीटें एलाटड हो गईं हैं। कॉलेजो में 240 सीटों से लेकर 600 सीटों का इंटेक है।

20 फीसदी भी प्रवेश नहीं
जानकारी के अनुसार अनुसार 151 इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति बेहद नाजुक है करीब 56,00 सीटें छात्रों के लिए रखी गई है जिसमें से करीब 9,600 सीटों पर ही अब तक प्रवेश हुए हैं अथार्त कुल सीटों का 20 फ़ीसदी प्रवेश अब तक नहीं हो सका है। तकनीकी शिक्षा परिषद अक्टूबर में काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू की गई थी। 16 अक्टूबर तक कॉलेजों को आवंटन दिया गया था। फस्र्ट राउंड 27 अक्टूबर तक चला था।
वर्जन
-पहले रांउड में करीब दस हजार प्रवेश हुए हैं। छात्र अब कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था आदि को पहले तरजीह देता है। पहले राउंड में सरकारी और अच्छे कॉलेजों में सीटें भर गई हैं। सेकेंड राउंड, सीएलसी में स्थिति में सुधार होने की संभावना है।
-डॉ.एसएके राव, डिप्टी डॉयरेक्टर डीटीई