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होली बाजार में छा गए हर्बल रंग

रासायनिक रंगों की मांग घटी  

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पर्यावरण को बनाए रखने के लिए इस बार होली बाजार में हर्बल रंग छा गए हैं। रासायनिक रंगों की मांग पहले जैसे नहीं बची है। हर्बल रंग महंगे होने के बाद भी लोगों की पसंद बन रहे हैं। व्यापारियों की माने तो बाजार में ८० प्रतिशत हर्बल रंग हैं।

एक्सपोज रिपोर्टर,जबलपुर

रंगों से त्वचा सहित आंखों में होने वाले प्रभाव को देखते हुए लोगों ने रासायनिक रंगों से दूरी बना ली है। इसके लिए महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश आदि से आने वाले रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एेसे बना सकते हैं हर्बल कलर

हरा रंग- इस रंग को बनाने में नीम, पालक, पुदीना या धनिया को पीसकर रंग तैयार कर सकते हैं। सूखे रंग के लिए पत्तियों को सुखाकर इसमें मक्के, जौ, चावल या अरारोट का आटा मिलाकर गुलाल तैयार कर सकते हैं।


गुलाबी रंग- लाल या गुलाबी रंग अनार के दानों से तैयार कर सकते हैं। अनार के दाने या चुकंदर को पानी में उबालकर ठंडा कर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

पीला रंग- यह रंग हल्दी से बना सकते हैं। कच्ची और सूखी हल्दी ले सकते हैं। कच्ची हल्दी को उबाल कर गीला रंग तैयार कर सकते हैं।

नारंगी रंग- टेसू के फूल, नींबू, मौसमी फल के सूखे छिलके और बेसन से रंग बना सकते हैं। टेसू के फूल, संतरे के छिलकों को सुखाकर गुलाल बनाया जा सकता है।

हर्बल रंग बाजार में ८० प्रतिशत है। लोग कैमिकल रंगों की जगह हर्बल रंगों की मांग कर रहे हैं।

अमन गुप्ता,दुकानदार