
High Court,MP High Court,
जबलपुर. शहर की पहाडिय़ों से अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने के मसले पर सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया की दखलंदाजी को लेकर मप्र हाईकोर्ट का कड़ा रुख गुरुवार को भी जारी रहा। कोर्ट ने मंत्री घनघोरिया का माफीनामा नामंजूर कर दिया। एसीजे झा ने ओपन कोर्ट में कहा, ' लॉ मेकर्स लॉ ब्रेकर नहीं हो सकते। मंत्री ने सभा में कोर्ट की अवमानना की तो सभा में ही माफी भी मांगनी चाहिए।Ó मंत्री व सरकार को 3 अक्टूबर तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया।
यह है मामला
शहर की पहाडिय़ों से अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने के मप्र हाइकोर्ट ने निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता श्रेयस पण्डित व अन्य ने इसी मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर कर आरोप लगाया कि 15 सितंबर को एक जनसभा में सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने जनता से कहा कि उनके निर्माण नहीं टूटने दिए जाएंगे। आरोप लगाया गया कि घनघोरिया ने जनता को भड़काने की कोशिश करते हुए न्यायालय व न्यायलयीन आदेशों के सम्बंध में अवमाननाकारी टिप्पणियां कीं। मामले से जुड़े एक वकील को भी धमकाया। मंत्री घनघोरिया पर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करने का आग्रह किया गया।
कोर्ट बन्द करने की चेतावनी
24 सितंबर को कोर्ट ने मंत्री के कथित व्यवहार व टिप्पणियों को लेकर नाराजगी प्रकट की थी। कोर्ट ने यह तक कहा था कि मशीनरी कोलैप्स हो चुकी है। मन्त्री ही कार्यो में बाधा डाल रहे हैं तो क्यों न कोर्ट बन्द कर दी जाए। महाधिवक्ता शशांक शेखर ने कोर्ट से मंत्री घनघोरिया को माफ करने के लिए तगड़ी मनुहार की। मंत्री की ओर से लिखित माफीनामा पेश करते हुए महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि यह मंत्री घनघोरिया की पहली और आखिरी गलती है। कोर्ट से यह तक कहा गया कि इस बार माफ कर दिया जाए। सीएम के संज्ञान में मामला है। चेतावनी भी दी गई है कि अगली गलती होने पर कुर्सी से हटा दिया जाएगा। लेकिन कोर्ट ने कहा, 'सॉरी कहने से कुछ नही होता। माफी आम आदमी को मिलती है, सरकार के हिस्से को माफ करना असंभव है। आपराधिक अवमानना कोई सामान्य शब्द नहीं, बहुत खतरनाक कानूनी व्यवस्था है।Ó स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि ' कोर्ट एक इन्च भी नहीं डिगेगी। ज्यादा मनुहार की तो आज अभी मंत्री के खिलाफ आदेश पारित किया जाएगा।Ó
सरकार की रिपोर्ट ठुकराई
कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश प्रोग्रेस रिपोर्ट को ठुकरा दिया। कहा, ' लाखों रु वेतन ट्रेनिंग व वेतन पर खर्च किए जाते हैं, फिर भी कलेक्टर और कमिश्नर सामने नहीं आते। सिर्फ समय लेते हैं, और रिपोर्ट पेश करत हैं। आज की रिपोर्ट अर्थहीन है। इसलिए ठोस कार्रवाई के बाद फिर रिपोर्ट पेश की जाए। वहीं अधिवक्ता जकी अहमद ने एक निर्माण को नोटिस जारी न करने व बेलेंस रॉक का मुद्दा भी उठाया गया। कोर्ट के विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।
Published on:
26 Sept 2019 08:15 pm
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