
Modak
जबलपुर/ प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश का दस दिवसीय जन्मोत्सव आज से शुरू हो गया है। भगवान श्रीगणेश की घर घर पूजा वंदना शुरू हो गई है। वहीं शाम तक समस्त सार्वजनिक पंडालों में भी मनोहारी व आकर्षित करने वाली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना हो जाएगी। गणेशोत्सव शुरू होने के साथ ही बाजार में मोदक की डिमांड अचानक बढ़ गई है। हर भक्त भगवान को मोदक का भोग लगाकर प्रसन्न करना चाहता है। ऐसी मान्यता है कि मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसके पीछे एक रोचक कथा है ,जो भक्तों को जरूर जाननी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज के अनुसार एक कथा ये कही जाती है कि जब भगवान गणेश और परशुराम जी के बीच युद्ध हुआ था, तब उनका एक दांत परशुराम जी ने फरसे से तोड़ दिया था। जिसके बाद उन्हें एकदंत नाम मिला। वहीं एक दांत न होने से वे कष्ट में रहे, कुछ भी खा नहीं पा रहे थे क्योंकि उन्हें चबाने में तकलीफ हो रही थी। तब माता पार्वती ने उन्हें मोदक बनाकर खिलाए, जो कि बहुत ही मुलायम होते हैं। मुंह में जाते ही ये पूरी तरह से घुल जाते हैं। भगवान गणेश को तभी मोदक बहुत प्रिय हैं।
एक ये भी मान्यता है कि मोदक को बनाने में शुद्ध आटा, घी, मैदा, खोवा, गुड़, नारियल, शक्कर, आदि वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य माना गया है। मोदक गुणकारी होने के साथ संतुष्टिदायक भी होता है। यही वजह है कि भगवान गणेश को मोदक प्रिय है। मोदक के गुणकारी होने का प्रमाण पद्म पुराण के सृष्टि खंड में बताया गया है।
Updated on:
02 Sept 2019 01:07 pm
Published on:
02 Sept 2019 12:59 pm
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