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जबलपुर। कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था ऑनलाइन मोड पर आ गई है। शिक्षकों के वर्क कल्चर में भी बदलाव हो रहा है। स्कूलों में तकनीकी व्यवस्थाओं की मांग बढ़ रही है। जिले के करीब 75 फीसदी सरकारी स्कूलों में न तकनीकी सुविधाएं हैं न ही इंटरनेट जैसी व्यवस्थाएं हैं। ऐसे में स्कूलों को अपडेट करने, उन्हें निजी स्कूलों से बेहतर बनाने और शिक्षण गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर संशय की स्थिति है। स्कूल शिक्षा विभाग कम दर्ज संख्या वाले स्कूलों को बंद करने की तैयारी कर रहा है। जिले के ऐसे 260 से अधिक स्कूलों को शामिल किया गया है। यदि स्कूलों को तकनीकी रूप से अपग्रेड नहीं किया गया तो कुछ और स्कूल भी बंद हो सकते हैं।
वर्ष 2010-11 में हेड स्टार्ट योजना शुरू की गई थी, जिसमें स्कूलों में कम्प्यूटर दिए गए थे। जिले में करीब एक सैकड़ा मिडिल स्कूलों में योजना लागू की गई थी। कालांतर में सिस्टम पुराने हो गए तो वहीं लाइनेक्स पर काम भी बंद हो गया। जिले में करीब 2254 प्राइमरी और मिडिल स्कूल संचालित हैं। जिसमें से केवल 20 फीसदी स्कूलों में ही कम्प्यूटर हैं। इंटरनेट जैसी तकनीकी व्यवस्थाएं कहीं नहीं हैं। जहां हैं भी तो शिक्षक इसे खुद अपने एंड्राइड फोन से कनेक्ट कर डेटा को स्टोर करते हैं। जबकि, जिले के 63 जन शिक्षाकेंद्रों को इंटरनेट आदि सुविधाओं से कनेक्ट करके रखा गया है। एपीसी जिला शिक्षा केंद्र डीके श्रीवास्तव ने बताया कि तकनीकी व्यवस्थाओं के लिए बजट होना जरूरी है। कुछ वर्षों पूर्व चिह्नित मिडिल स्कूलों में हेडस्टार्ट योजना शुरू की गई थी। सिस्टम और सॉफ्टवेयर भी पुराने हो जाने के कारण ज्यादा समय नहीं चल सकी।
Published on:
18 Aug 2020 08:21 pm
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