
Former Vidhan Sabha speaker Srinivas Tiwari's plea rejected
जबलपुर। मध्यप्रदेश विधानसभा में नियुक्ति घोटाले के मामले में सोमवार को मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया। इस मामले में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। तिवारी ने याचिका के जरिए विस में अवैध नियुक्तियों के मामले पर उनके खिलाफ भोपाल में चल रहे आपराधिक प्रकरण को चुनौती दी थी। लेकिन मामले की सुनवाई के बीच तिवारी का देहावसान हो गया। जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस अंजुली पालो की डिवीजन बेंच ने सोमवार को तिवारी की मृत्यु की सूचना पर याचिका निरस्त करने के निर्देश दिए।
यह है मामला
श्रीनिवास तिवारी के मप्र विस के अध्यक्ष रहने के दौरान वर्ष 2006 में उनके कार्यकाल में विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच के लिए जस्टिस सच्चिदानंद द्विवेदी कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा सचिव ने वर्ष 2015 में भोपाल के जहांगीरबाद थाने में उनके सहित अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया। पुलिस ने नियम विरुद्ध नियुक्तियों के मामले में वर्ष 2016 में भोपाल न्यायालय में चालान पेश किया किया।
पुलिस नहीं कर सकती कार्रवाई
हाईकोर्ट में दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में तिवारी को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त था। उनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार सिर्फ विधानसभा को है। विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ पुलिस और सरकार कार्रवाई नहीं कर सकती। याचिका में भोपाल जिला न्यायालय में चल रहे प्रकरण को खारिज करने की मांग की गई थी। तिवारी की ओर से अधिवक्ता प्रकाश उपाध्याय उपस्थित हुए।
खूब चले थे सियासी तीर
प्रदेश में व्यापमं घोटाले की गूंज के बीच विस में हुई भर्तियों में भी अनियमिता का मामला उठा था। ये मामला पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल है। उस दौरान श्रीनिवास तिवारी मप्र विस में अध्यक्ष थे। इस नियुक्ति घोटाले के सामने आने के बाद प्रदेश भाजपा ने कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला था। मामले को लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं के ऊपर कई छींटे भी आए थे। अनियमितता उजागर होने के बाद प्रदेश में कई दिनों तक मामला सुर्खियों में था।
Published on:
19 Feb 2018 09:00 pm
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