
nag panchami-2018: pooja muhurat date and time
जबलपुर। नागपंचमी यानि भगवान महादेव के कंठ में विराजमान वासुकी नाग का पूजन। खेतों में अवांछित जीवो को नष्ट कर सांप हमारे खेतों की और उपज की रक्षा करता है। इसी महत्व को ध्यान में रखते व उसके प्रति आस्था प्रकट करते हुए देश में नाग पंचमी का पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार नागपंचमी 15 अगस्त को पड़ेगी। इस दिन नाग पूजा करने से मन को शांति मिलती है। साथ ही समस्त दोषों और विकारों से भी मुक्ति मिलती है। सांप के प्रतीकात्मक पूजन से भगवान शिव ही प्रसन्न होते हैं। यह त्योहार हर साल सावन माह में आता है। लेकिन पूजन की आड़ में लोग मृत्यु दोष के भागीदार बन जाते हैं। जिससे उनका पूजन व्यर्थ हो जाता है।
कालसर्प दोष और नागपूजन पर मार्कंडेय धाम के विचित्र महाराज का कहना है कि नागपंचमी पर कालसर्प दोष निवारण पूजन करना श्रेयष्कर रहता है। किंतु नागों को दूध पिलाना मृत्यु दोष का कारक बन जाता है। क्योंकि ये विज्ञान ने भी माना है कि सांप दूध नहीं पीते। सपेरों द्वारा उन्हें जबरदस्ती दूध पिलाया जाता है। जिससे उनकी एक निश्चित समय के बाद मौत हो जाती है। जिसमें समस्त भक्त भी उतने ही दोषी होते हैं जितना कि सपेरा। नागपंचमी पर सांपों के प्रतीकात्मक पूजन का विधान है।
वन्य जीव संरक्षण का अपराध
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार सांपों को दूध पिलाना या उनके साथ क्रूर व्यवहार करना वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत गंभीर अपराध है। इसके तहत सजा व जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
पूजन मुहूर्त और तिथि
साल 2018 में नागपंचमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन बुधवार होगा। नाग पंचमी पंचमी तिथि का आगमन 15 अगस्त को सुबह 3:27 पर हो जाएगा। यह तिथि आगामी 16 अगस्त गुरुवार को दोपहर 1:52 तक रहेगी। नाग पंचमी पर नाग पूजन का मुहूर्त सुबह 5:54 से 8:30 बजे तक दोपहर तक की जा सकेगी। मूर्ति की अवधि कुल 2 घंटा 36 मिनट रहेगी। इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है जिनमे अनंता, वासुकी, शेष, कालिया, तक्षक, पिंगल, धृतराष्ट्र, कार्कोटक, पद्मनाभा, कंबाल, अश्वतारा और शंखपाल शामिल हैं।
इस मंत्र का जाप करें
ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है जिसमें विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यदि ये मंत्र बोलते हुए पूजन करना फलदाई होता है।
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नमः
Published on:
08 Aug 2018 04:36 pm
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