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जबलपुर

साइलेंट जोन के प्रतिबंधित दायरे में हो रहे बेखौफ निर्माण, सूखा रहे नर्मदा किनारे

Narmada river : नर्मदा से 300 मीटर का दायरा तय हो गया है। लेकिन तट पर अवैध निर्माण और व्यावसायिक गतिविधियां थम नहीं रही हैं।

जबलपुरMay 16, 2025 / 12:39 pm

Lalit kostha

banks of Narmada

banks of Narmada

Narmada river : नर्मदा से 300 मीटर का दायरा तय हो गया है। लेकिन तट पर अवैध निर्माण और व्यावसायिक गतिविधियां थम नहीं रही हैं। पुराने चिन्हित अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई भी शुरू नहीं हुई है। नदी का किनारा साइलेंट जोन में आता है। नर्मदा बड़ी संख्या में जलीय जीव और पशु-पक्षियों का प्राकृतिक रहवास है, ऐसे में जरूरी है आसपास शाम को और रात में वातावरण शांत रहे। लेकिन नदी की सीमा से निर्माण के लिए प्रतिबंधित दायरे में तेज रोशनी के साथ ही बड़े आयोजन और देर रात तक डीजे बजाने की गतिविधि हो रही हैं।

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Narmada river : मां नर्मदा मैरिज गार्डन संचालित हो रहा

पगलानंद आश्रम के पास सिद्धघाट से ऊपर नदी से लगभग 50 मीटर की दूरी पर संतोष टेंट हाउस व केटरिंग संचालित है। इसी तरह से तट पहुंच मार्ग पर मां नर्मदा मैरिज गार्डन संचालित हो रहा है। इसमें लगातार शादी, पार्टी के बड़े आयोजन हो रहे हैं। इसके साथ ही कई समाज के आश्रम के नाम से बने भवनों के स्ट्रक्चर का नव निर्माण होता जा रहा है। इनका उपयोग बारातघर, आयोजन स्थल के तौर पर हो रहा है।
Narmada river

Narmada river : 2007 के पहले के अवैध निर्माण भी नहीं हटाए

नर्मदा तटों पर 300 मीटर के दायरे में 2007 के पहले के 266 अवैध निर्माण चिन्हित हैं। इन निर्माणों को हटाया जाना है। अब तक इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू नहीं हुई और प्रशासन प्रतिबंधित सीमा में नए अवैध निर्माण भी नहीं रोक पा रहा है। इस मामले में जिला प्रशासन के राजस्व विभाग, नगर निगम से लेकर ग्राम पंचायतों का रवैया लचर है।

Narmada river : 18 साल पहले तय हुई थी प्रतिबंधित सीमा

नर्मदा के तटों पर बस रही अवैध बसाहट रोकने और ग्रीन बेल्ट को बचाने और तटवर्ती क्षेत्रों में भू स्खलन रोकने के लिए वर्ष 2007 से नर्मदा की तीन सौ मीटर की प्रतिबंधित सीमा में किसी भी प्रकार के कांक्रीटेड निर्माण पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन प्रतिबंधित सीमा तय होने के 18 साल बाद तक आज भी इस दायरे में अवैध निर्माण पर रोक नहीं लगाई गई। राजस्व विभाग की ओर से किए गए सर्वे में पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि प्रतिबंध के बावजूद नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिबंधित सीमा में ढाई सौ से ज्यादा अवैध निर्माण हो चुके हैं।
Narmada river
Narmada water

Narmada river : प्राकृतिक स्वरूप बचाना जरूरी

पर्यावरणविदों से लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि नर्मदा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए नदी के तट का प्राकृतिक स्वरूप सुरक्षित बचाना आवश्यक है। लेकिन तट पर पक्के निर्माण होने से हरियाली को नुकसान पहुंच रहा है। इससे कैचमेंट एरिया प्रभावित होता है।
Narmada river : नर्मदा तट के चिन्हित अवैध निर्माण के मामले में सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों से जानकारी लेकर समीक्षा करेंगे। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

  • दीपक सक्सेना, कलेक्टर

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