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जबलपुर. साबरमती रिवर फ्रं ट की तर्ज पर नर्मदा दर्शन पथ विकसित करने के लिए बनाई गई नर्मदा समृद्धि कॉरीडोर योजना दस्तावेजों और बयानबाजी तक सिमट कर रह गई है। नगर सरकार का कार्यकाल बीतने को है, लेकिन महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू होना तो दूर, जमीनी स्तर पर सर्वे भी नहीं हो सका है। नगर निगम के २०१९-२० के बजट में समृद्धि कॉरीडोर को सबसे बड़ा प्रावधान बताया गया था। तिलवारा-भटौली के बीच बनने वाले दर्शन पथ के रूट का प्रशासनिक अधिकारियों ने दौरा किया, लेकिन सर्वे शुरू नहीं हो सका।
भवन-निजी जमीन की रिपोर्ट होना है तैयार
8.5 किमी में बनने वाले नर्मदा समृद्धि कॉरीडोर (दर्शन पथ) के मार्ग पर स्थित भवनों और निजी जमीन की रिपोर्ट तैयार होनी है। इसके बाद योजना का डीपीआर तैयार करने सहित अन्य कार्य होंगे। लेकिन, अभी तक राजस्व विभाग और नगर निगम की ओर से संयुक्त रूप से किया जाने वाला सर्वे भी शुरू नहीं हुआ है। सर्वे के बाद ही पता चलेगा कि कितनी निजी जमीन का अधिग्रहण करना होगा। दर्शन पथ के दायरे में आने वाले परिवारों की शिफ्टिंग के लिए भी व्यवस्थित कार्ययोजना बनानी होगी।
बढ़ेगा धार्मिक पर्यटन
भटौली से ग्वारीघाट होते हुए तिलवाराघाट के बीच कई धार्मिक स्थल हैं। इन तटों पर नर्मदा महोत्सव, प्रत्येक माह की पूर्णिमा, अमावस्या सहित अन्य अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। जानकारों के अनुसार नर्मदा समृद्धि कॉरीडोर विकसित होने पर यहां दुनियाभर से पर्यटक और श्रद्धालु आएंगे। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। शहरी सीमा में स्थित नर्मदा के सभी प्रमुख तट एक परिपथ में जुड़ जाएंगे।
Published on:
20 Nov 2019 10:00 am
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