Narmada siddha kund : नर्मदा तट गौरीघाट के ‘सिद्ध कुंड’ से पानी के साथ उसकी अपनी दुर्दशा के ‘आंसू’ भी बह रहे हैं। यहां अराजक तत्वों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। वे लगातार इस कुंड में गंदगी फैला रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि इसका ‘पवित्र पानी’ पूरी तरह से दूषित हो गया है। अब हालत यह है कि यह पानी आचमन के योग्य भी नहीं बचा है। कुंड के जिस जल को गोमुख से भरने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं, वे अब इसे अपनी अंजुली में भरने से बच रहे हैं।
नर्मदा की धार से करीब 15 फीट ऊंचाई पर स्थित इस कुंड की खासियत है कि यह पूरे साल लगातार बहता रहता है। औषधीय गुणों से भरपूर इस जल की मान्यता है कि इसके आचमन से पेट के रोग दूर होते हैं। इसकी मिट्टी का शरीर पर लेपन करने से चर्म रोगों में राहत मिलती है। इसके गोमुख से 42 डिग्री तापमान में भी शीतल जल प्रवाहित होकर नर्मदा में मिलता है। इसके नाम के पीछे मान्यता है कि यहां कई तपस्वियों ने तप किया और सिद्धियां प्राप्त की हैं। इसी वजह से इसे सिद्ध कुंड कहा जाता है।
सिद्ध कुंड दो महीने से बदबू मार रहा है। इसमें कचरा सड़ रहा है। छिपकली व अन्य छोटे जीव जंतु मरे पड़े हैं। काई जमने से इसका पानी अब पीने योग्य नहीं बचा है। सुरक्षा एवं जल को दूषित होने बचाने के लिए जाली लगाई गई है। इसके बावजूद यहां आने वाले लोग ही इसमें गंदगी फैला रहे हैं।
कुंड का जल बहककर गोमुख से नर्मदा की धार में मिलता है। गोमुख के पास भी हमेशा गंदगी फैली रहती है। नगर निगम इसे साफ नहीं करा रहा। नर्मदा भक्त भी इसकी सुध नहीं ले रहे हैं। कुंड के पास जमावड़ा लगाने वालों को लोगों की आस्था से भी मतलब नहीं है। गोमुख से निकलने वाले पानी में हाथ-पैर भी धुलते हैं। यदि कोई मना करे, तो उससे विवाद करते हैं।
Updated on:
20 Jun 2025 11:23 am
Published on:
20 Jun 2025 11:22 am