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जबलपुर कलेक्ट्रेट के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी को भी हाईकोर्ट ने 18 अगस्त को हाजिर होने को कहा
जबलपुर।
मप्र हाईकोर्ट ने बरगी से कांग्रेस विधायक संजय यादव के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्कालीन निर्वाचन अधिकारी व वर्तमान नरसिंहपुर कलेक्टर रोहित सिंह व तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी(जबलपुर कलेक्ट्रेट) को गवाही देने के लिए समय दे दिया। जस्टिस वीरेंदर सिंह की सिंगल बेंच ने दोनो अधिकारियों को 18 अगस्त को कोर्ट में उपस्थित रहने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि इसके बाद दोनों अफसरों को हाजिर होने के लिए नोटिस जारी नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस से बगावत करने वाले प्रत्याशी जितेन्द्र अवस्थी की ओर से दायर चुनाव याचिका में कहा गया कि 2018 के विधानसभा चुनाव के पूर्व वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अंतिम तिथि को नामांकन पत्र भरने के लिए जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। रिटर्निंग ऑफिसर ने उन्हें पुलिस से कलेक्ट्रेट के बाहर करवा दिया। इसकी वजह से वह नामांकन पत्र नहीं भर पाए। जिससे चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हो गई। इसी याचिका पर हाईकोर्ट में गवाही चल रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी ने कोर्ट को बताया कि तत्कालीन जबलपुर निर्वाचन अधिकारी रोहित सिंह व तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी की गवाही होना शेष है। वहीं चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने कोर्ट को बताया कि नरसिंहपुर कलेक्टर रोहित सिंह व दूसरे अधिकारी की चुनाव ड्यूटी लगी है। इसलिए वे गवाही देने नहीं आ सके। चुनाव ड्यूटी खत्म होने के बाद वे 18 अगस्त को कोर्ट में हाजिर हो सकते हैं। इसके लिए समय देने का आग्रह किया गया। कोर्ट ने इसे मंजूर कर लिया।
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जिला पंचायत मंडला की सीईओ रानी बापट को अवमानना नोटिस
कमिश्नर कोर्ट ने मांगा जवाब
जबलपुर।
जबलपुर संभागायुक्त कोर्ट ने जिला पंचायत मंडला की सीईओ रानी बापट को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कमिश्नर बी चंद्रशेखर की अदालत ने सीईओ को 15 दिन में यह स्पष्टीकरण देने को कहा कि उन्होंने ग्राम पंचायत सचिव के निलंबन से जुड़े मामले पर विचार कर उचित निर्णय पारित क्यों नहीं किया?
मण्डला जिले की रैगवां ग्राम पंचायत के सचिव देवलाल धर्वे ने कमिश्नर कोर्ट में अपील पेश कर बताया कि भ्रष्ट आचरण की शिकायत पर सीईओ ने 4 अगस्त 2021 को उसे निलंबित कर दिया। अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने कोर्ट बताया कि अपील पर संभागायुक्त ने करीब 4 माह पूर्व सीईओ को निर्देश दिए थे। दो माह में निलंबन के संबंध में यथोचित निर्णय लेने के आदेश दिए गए थे। कमिश्नर कोर्ट ने यह भी कहा था कि आवेदक को अधिक समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। जब 4 माह बाद भी सीईओ ने कोई निर्णय नहीं लिया तो अवमानना याचिका दायर की गई।
Published on:
29 Jul 2022 11:39 am
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