यहां बनते हैं धनुष तोप से लेकर टारपीडो, पल भर में खाक हो जाएगा पाक
देश की सेनाओं के लिए जबलपुर की आयुध निर्माणियां बड़ी ताकत का काम कर रही हैं। जमीन, आकाश और जल में विध्वंस मचाने वाले शक्तिशाली बम और तोप यहां ब्रिटिश शासनकाल से बनते आ रहे हैं।
ज्ञानी रजक@जबलपुर। देश की सेनाओं के लिए जबलपुर की आयुध निर्माणियां बड़ी ताकत का काम कर रही हैं। जमीन, आकाश और जल में विध्वंस मचाने वाले शक्तिशाली बम और तोप यहां ब्रिटिश शासनकाल से बनते आ रहे हैं। इनका इस्तेमाल थल सेना, नौसेना और वायुसेना भी करती है।
आपात स्थिति में इनका उत्पादन तेज कर दिया जाता है। देश की 41 आयुध निर्माणियों में से चार शहर में हैं। इनमें 200 से अधिक तरह के सैन्य साजो-सामान का उत्पादन किया जाता है। 1965, 1971 और 1999 की लड़ाई में इनकी जबर्दस्त भूमिका रही। कुछ प्रमुख उत्पादों की बड़ी विशेषता है।
ग्रे आयरन फाउंड्री: एरियल बम और हैंड ग्रेनेड की बॉडी व एमुनेशन बॉक्स के अलावा दूसरे कलपुर्जे ढाले जाते हैं।
506 आर्मी बेस वर्कशॉप
देश के अंदर बोफोर्स तोप की मरम्मत के लिए यही एकमात्र जगह है। विशेषज्ञ कर्मचारियों द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। इसी तरह एके-47 गन की रिपेयरिंग भी यहीं होती है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया: वायु सेना
1000 एमबीएस- थाउजेंड पाउंडर नाम का यह बम बड़ी इमारत, कंाक्रीट के ब्रिज, पहाड़ को इससे उड़ाया जा सकता है। 15 हजार मीटर ऊंचाई से एयरक्राफ्ट से गिराने पर भूकंप की तरह झटका लगता है। जमीन में बड़ा गड्ढा हो जाता है।
एरियल बम- 100-120 किग्रा वजनी इस बम का इस्तेमाल रेलवे जंक्शन, एयरबेस और बंकर्स ध्वस्त करने में किया जाता है। इसे मिग 21, 27 और 29 से दागा जाता है।
थलसेना:
125 एमएम- 125 एमएम सॉफ्ट कोर एंटी टैंक बम है। टैंक-72 से 3.5 किमी तक गोला दागा जा सकता है। इस बम से कुछ ही अंतराल में टैंक उड़ाया जा सकता है।
84 एमएम- इसके तीन वर्जन हैं। कार्ल गुस्ताफ सोल्डर गन से फायर किया जाता है। एक किमी की रेंज में खडे़ टैंक को उड़ाने, दूसरे का उजाला करने और तीसरे का खडे़ दुश्मन को उड़ाने में किया जाता है।
चार्ज डेमोलेशन- यह एक तरह का माइंस है। इनका इस्तेमाल कांक्रीट के पुल और रास्ते को तहस-नहस करने में किया जाता है।
नौसेना:
टारपीडो- समुद्र में पनडुब्बी या जहाज इस पर से गुजरा तो उसका ध्वस्त होना तय है। इसमें लगभग 250 किग्रा टीएनटी होता है। यह एक बक्से की सूरत में पानी के भीतर तैरता रहता है।
30 एमएम- नेवल गन में इस एमुनेशन का इस्तेमाल एयरक्राफ्ट को गिराने में किया जाता है। इसके द्वारा 3 से 4 किमी तक की दूरी तक दुश्मन के विमान पर निशाना लगाया जा सकता है।
वीकल फैक्ट्री जबलपुर:
स्टालियन- इस वाहन का इस्तेमाल सेना और गोला-बारूद एक से दूसरी जगह ले जाने में किया जाता है। फोर बाय फोर यानी सभी व्हील से ड्राइव होती है। इसमें ब्लैक आउट उपकरण स्लीपर केबिन आदि विशेषता हैं।
एलपीटीए- दुर्गम इलाकों में सैनिकों को ले जाने में इस वाहन का इस्तेमाल होता है। कोल्ड स्टार्टिंग डिवाइज, टिलटेबल केबिन आदि खासियत हैं।
एमपीवी- माइन प्रोटेक्टिड वीकल का उपयोग नक्सली इलाकों में बिछाई गई माइंस के प्रतिरोधक के रूप में किया जाता है। मोटी आम्र्ड प्लेट से लैस इस वाहन के टायर के नीचे 14 किग्रा और हल के नीचे 10 किग्रा बारूद फटने पर इसमें बैठे सैनिकों को कम नुकसान होता है।
वाटर बाउजर- फैक्ट्री में दो किलोलीटर का वाटर बाउजर का उत्पादन भी होता है। इसका उद्देश्य सैनिकों को स्वच्छ पानी दिलाना है। इसमें तापमान के अनुरूप मरुस्थल में ठंडा एवं बर्फीले क्षेत्र में पीने योग्य पानी होता है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया:
धनुष तोप- 155 एमएम 45 कैलीबर स्वदेशी बोफोर्स तोप धनुष से 38 किमी दूरी तक निशाना साधा जा सकता है। अत्याधुनिक तोप में कई सारी डिवाइस लगी हैं।
एलएफजी- 105 एमएम लाइट फील्ड गन थल सेना के लिए बहुत उपयोगी है। हल्की होने के कारण हेलीकॉप्टर से कहीं भी ले जाया सकता है। इससे 17.2 किमी तक गोला दागा जा सकता है।
120 एमएम मोर्टार- यह हल्का प्रभावी आर्टलरी बेपंस लॉन्चर है। इसमें स्मोक एवं एलूमिनेटिंग एमुनेशन को दागा जा सकता है। इसकी मारक क्षमता करीब 10 किमी है। इसी तरह 81 एमएम और 51 एमएम मोर्टार भी हैं।
कवच- यह एंटी शिप मिसाइल सिस्टम है। जहाज से दुश्मन के शिप को आसानी से उड़ाया जा सकता है। इसमें लगे 16 लॉन्चर से एक किमी दूरी तक निशाना साधा जा सकता है।