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मानव अंग तस्कर निकाल रहे थे महिला की किडनी, फिर हुआ ये

स्थानीय महिला बनी मददगार, नहीं तो विक्षिप्त महिला की मुम्बई में बेच दी जाती किडनी 

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Organ Harvesting and Human Trafficking, Market,  ‪‪Yogi Adityanath‬, ‪‪Gorakhpur‬,BRD college,Uttar Pradesh‬

Organ Harvesting and Human Trafficking, Market, ‪‪Yogi Adityanath‬, ‪‪Gorakhpur‬,BRD college,Uttar Pradesh‬

जबलपुर। इंसानी अंगों की तस्करी पर भले ही कड़े कानून और सजा का प्रावधान हो, लेकिन ये काम जोर शोर से चल रहा है। भोले भालों को मानव अंगों के तस्कर बहला फुसलाकर फंसा लेते हैं और फिर उसके अंगों का सौदा कर लेते हैं। लेकिन जबलपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक विक्षिप्त महिला को बहला कर वे मुंबई ले गए जहां उसकी किडनी का सौदा कर लिया गया। इस बीच एक स्थानीय महिला ने उसकी मदद की और महिला को मानव अंग तस्करों के चंगुल से आजाद करा लिया। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।

यह है मामला
वह जोर-जोर से रोती है, फिर चुप हो जाती है। कभी बांग्ला भाषा में अपने परिवार वालों को अपशब्द कहती। वह अपना नाम-पता नहीं जानती। उसे यह भी नहीं पता कि वह आई कहां से है। किसी अपने ने ही उसकी लाचारी को बोझ समझकर टे्रन में बिठाया और उससे अपना पीछा छुड़ा लिया। इसका फायदा कुछ लोगों ने उठाना चाहा। उसे ट्रेन से ही उसे मुम्बई ले जाकर किसी अस्पताल में उसकी किडनी बेचने का मन बना लिया।

संयोग से उसी ट्रेन में बैठी स्थानीय निवासी एक महिला ने उन आसमाजिक तत्वों के मंसूबे जान लिए। इसके बाद उक्त विक्षिप्त महिला को जबलपुर उतारा गया। और उसे शेल्टर होम में छोड़ा गया। शेल्टर होम के अंशुमन शुक्ला ने बताया कि बीते दिन उसे स्वाधार होम में एक महिला छोड़ गई है। उस मददगार महिला के बताए अनुसार ट्रेन में कुछ लोग इसे मुम्बई ले जाकर किडनी बेचने की बात कर रहे थे।

बांग्ला भाषा में बड़बड़ाती है
विक्षिप्त महिला बांग्ला भाषा में रो-रोकर किसी को चिल्लाती है। कभी बाबा यानी पिता के बारे में कुछ कहती है तो कभी दादा यानी भाई को कुछ कहती है। उसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

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