
cancer
जबलपुर. कैंसर के इलाज के लिए महाकोशल व आसपास के 20 जिलों के मरीज जबलपुर पर निर्भर हैं, लेकिन यहां बीमारी की समय पर पहचान के लिए उपयोग की जाने वाली पैट स्कैन मशीन ही नहीं है। दरअसल, प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में पैट स्कैन मशीन नहीं है। लेकिन भोपाल, इंदौर में निजी अस्पतालों में मशीन उपलब्ध है। इस कारण वहां कैंसर की जांच हो जाती है। जबलपुर में जांच के लिए मरीजों को दूसरे महानगरों में भेजना पड़ता है।
ऐसे समझें उपयोगिता
पैट स्कैन मशीन एक सीटी स्कैन की तरह ही काम करती है। इसमें स्पेशल डाई, न्यूक्लियर डाई और कंट्रास्ट लगा कर कैंसर की जांच की जाती है। इससे कैंसर के लक्षण, स्टेज का पता करना आसान होता है। साथ ही मरीज को कैंसर के इलाज के बाद क्या असर पड़ा, इलाज के बाद कैंसर ठीक हुआ या नहीं, इन सब में पैट स्कैन मददगार साबित होती है।
10 करोड़ रुपए कीमत
कैंसर रोग विशेषज्ञों के अनुसार पैट स्कैन मशीन जांच की अत्याधुनिक मशीन है। 10 करोड़ के लगभग लागत वाली इस मशीन से मरीज में कैंसर के लक्षण, बीमारी के स्टेज का पता लग जाता है। बीमारी कहां-कहां है, शरीर किस अंग में फैली है, और कैंसर के मरीज का जो इलाज चल रहा है उसका कितना असर हुआ, ये भी पता लग जाता है।
यह है स्थिति
●मशीन नहीं होने से कैंसर की समय पर नहीं हो पाती है पहचान
●10 करोड़ रुपए मशीन की लागत
●12 हजार के लगभग मरीज भर्ती होते हैं हर साल
●125 मरीज आते हैं ओपीडी में
●100 के लगभग मरीज रहते हैं भर्ती
इसलिए भी जरूरी
मेडिकल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के तहत स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट अस्पताल स्थापित किया गया है। ऐसे में दूर-दूर से मरीज बड़ी आस से यहां कैंसर के इलाज के लिए आते हैं। लेकिन यहां पैट स्कैन जांच नहीं हो पाने से उन्हें इंदौर, भोपाल या नागपुर जाना पड़ता है।
पैट स्कैन मशीन से कैंसर की बीमारी का पता तो लगता ही है, इसके साथ ही ये भी स्पष्ट हो जाता है कि बीमारी की शुरुआत किस अंग से हुई। अभी मरीजों को जांच के लिए यहां से भोपाल, इंदौर या नागपुर भेजना पड़ता है।
डॉ. श्यामजी रावत, कैंसर रोग विशेषज्ञ, स्टेट कैंसर अस्पताल
Published on:
20 Feb 2024 03:09 pm
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