
petrol prices break record highs in india
जबलपुर. पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लग रही आग से इसका सीधा असर जनजीवन पर पडऩे की संभावना जताई जा रही है। अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों का भी मानना है कि लगातार ईंधनों की कीमतों में इजाफा से घरेलू उत्पाद और उत्पादन दोनों पर इसका असर पडऩे से वस्तुएं महंगी हो सकती हैं। इंडस्ट्रीज में भी ज्यादातर मशीनें डीजल से चलाई जाती हैं, ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। जानकारों की मानें तो पेट्रोल डीजल के दाम जिस तरह से बढ़ रहे हैं, वे दिसम्बर तक 100 रुपए प्रति लीटर तक हो सकते हैं। ऐसा अनुमान पिछली दर वृद्धि के गणित से लगाया जा सकता है।
news fact-
सोमवार को बना रेकॉर्ड, आंकड़ा 85 और 75 के पार
घरेलू उत्पाद व उत्पादन का समीकरण बिगड़ सकता है
कारण बनेंगी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें
अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों ने जताई चिंता
पेट्रोल-डीजल के दामों ने अब नया रेकॉर्ड बना लिया
शहर में पेट्रोल 85.01 रुपए और डीजल 75.11 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया
यह समीकरण भी हो सकता है
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ईंधनों में लगातार हो रही वृद्धि के पीछे राजनीतिक कारण हो सकता है। अभी ईंधनों की कीमतें बढ़ाकर चुनाव के नजदीक आने के दौर में इसकी कीमतों में कुछ कमी कर लाभ उठाने की कोशिश भी हो सकती है। एक महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्रमश: 2.66 और 3.26 रुपए बढ़ गईं हैं। कीमतों में उपभोक्ताओं को लंबे समय तक राहत की संभावना कम ही है। अर्थशास्त्रियों के आंकलन पर विश्वास करें तो उनका कहना है, पेट्रोल जल्द ही 90 और डीजल 80 रुपए की कीमत को पार कर सकता है।
राहत कम, आहत ज्यादा हुए
डीजल और पेट्रोल की कीमतें आमतौर पर विदेशों से मिलने वाले क्रूड ऑइल की कीमतों से तय होती हैं। फिलहाल क्रूड की कीमतों में ज्यादा उठापटक नहीं है। ऐसे में भी वाहनों के मुख्य ईंधन की कीमतें तेजी के साथ बढ़ रही हैं। एक से दो महीनों में कम अवसर आए, जब उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली। करीब-करीब रोज ही 6 पैसे से लेकर 25 से 30 पैसे तक पेट्रोल महंगा होता रहा है। यही स्थिति डीजल के साथ रही है।
कीमतें राजनीतिक
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को अर्थशास्त्री आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक मान रहे हैं। अर्थशास्त्री नीलकंठ पेंडसे का कहना है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड आइल के दाम घट रहे हैं। उत्पादन लागत भी उतनी है। ऐसे में कीमतें बढ़ाने का क्या तर्क है। उनका कहना है, यही स्थिति रही तो अक्टूबर तक पेट्रोल 90 से अधिक तो डीजल की कीमत भी 80 से 82 रुपए के बीच होंगी। दरअसल, पेट्रोल और डीजल पर सडक़ निर्माण के लिए जो सेस लगायाा है, वह इतना है कि 80 से 90 हजार करोड़ लागत की सडक़ योजनाएं स्वीकृत की जा सकती हैं। पहले इसके लिए अलग से बजट बनाना पड़ता है। जब इतना लाभ हो रहा है तो कीमतें कैसे घटेंगी। सरकार इन्हें जीएसटी में भी नहीं ला रही है। इसका सीधा असर राज्य और केन्द्र के राजस्व पर होगा, क्योंकि जीएसटी नहीं होने से राज्य व केन्द्र को अतिरिक्त कर लगाने में परेशानी नहीं होती है।
उद्योग और व्यवसाय पर कीमतों का बुरा असर हो रहा है। लागत बढ़ रही है। लाभ कम होते जा रहा है। कई इंडस्ट्री हैं, जिनमें मशीनें डीजल से चलती हैं। परिवहन भी महंगा होगा।
- शंकर नाग्देव, प्रवक्ता, महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
कीमतों में भारी इजाफा सीधेतौर पर रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर असर डालेगा। ढुलाई भाड़ा बढेग़ा। इससे फल, सब्जी और दूध जैसी चीजें महंगी हो सकती हैं। सरकार को अपने टैक्स में कमी लानी चाहिए।
- प्रेम दुबे, चेयरमैन, जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
Published on:
04 Sept 2018 09:45 am
बड़ी खबरें
View Allजबलपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
