
pitru moksha amavasya 2019
जबलपुर। पितरों के तर्पण और उनके मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करने का पर्व पितृमोक्ष 13 सितम्बर से शुरू हो गया है। रोज नदियों के किनारे लोग अपने पितरों का तर्पण व श्राद्ध पहुंचने लगे हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में की गई पितरों की पूजा से न केवल वे प्रसन्न होते हैं, बल्कि आशीर्वाद स्वरूप धन संपदा व सुख समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।
ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार इस साल 13 सितम्बर पूर्णिमा से शुरू हुए पितृ पक्ष 28 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ सम्पन्न होंगे। इस साल शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या पड़ रही है। ये पितृ पक्ष का आखिरी दिन होगा। पितृ पक्ष अमावस्या को महालय भी कहा जाता है। इस तिथि पर उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनके स्वर्गलोक की तिथि ज्ञात नहीं होती है या फिर उन पूर्वजों का श्राद्ध होता है जो ज्ञात नहीं होते हैं। इसके अलावा जो लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर उनका श्राद्ध नहीं कर पाते हैं वे सर्व पितृ अमावस्या पर उनका तर्पण कर सकते हैं।
इस तिथि से पूर्वजों की आत्मा को शांति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। अगर आपको अपने किसी परिजन की मृत्यु की तिथि ज्ञात ना हो तो उसका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन किया जा सकता है। इस दिन लोग अपने सभी पूर्वजों का श्राद्ध एकसाथ भी कर सकते हैं। पितृ पक्ष का आरंभ प्रतिपदा तिथि से हो जाता है और इसके अगले दिन भाद्रपद माह की पूर्णिमा आती है। जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही किया जाता है।
पितर तर्पण क्यों जरूरी
इस पूजा से सभी पूर्वजों को स्वर्गलोग की प्राप्ति होती है।
पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध पूजा की जाती है।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी इस पूजा का विधान है।
इस पूजा से जातक के जीवन में सुख, धन-वैभव और संपन्नता आती है।
Published on:
16 Sept 2019 12:39 pm
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