
mahalaya 2017, ahalaya, pitru paksha 2017, mahalaya amavasya 2017, pitru paksha, Paksha, Puja, Kalinga Utkal Express, Muzaffarnagar, Uttar Pradesh, Khatauli, Haridwar, Puri
जबलपुर। सनातन धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है। मान्यतानुसार अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश शुक्ल और ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज के अनुसार हिन्दू ज्योतिष में भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
pitru paksha 2017 पितृपक्ष में इसलिए गयाजी में किया जाता है पिंडदान, आप भी जानें इसका रहस्य
वर्ष 2017 में पितृ पक्ष श्राद्ध की तिथियां-
तिथि दिन श्राद्ध तिथियाँ
05 सितंबर मंगलवार पूर्णिमा श्राद्ध
06 सितंबर बुधवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध
07 सितंबर गुरुवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध
08 सितंबर शुक्रवार तृतीया - चतुर्थी तिथि का श्राद्ध (एक साथ)
09 सितंबर शनिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध
10 सितंबर रविवार षष्ठी तिथि का श्राद्ध
11 सितंबर सोमवार सप्तमी तिथि का श्राद्ध
12 सितंबर मंगलवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध
13 सितंबर बुधवार नवमी तिथि का श्राद्ध
14 सितंबर गुरुवार दशमी तिथि का श्राद्ध
15 सितंबर शुक्रवार एकादशी तिथि का श्राद्ध
16 सितंबर शनिवार द्वादशी तिथि का श्राद्ध
17 सितंबर रविवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
18 सितंबर सोमवार चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
19 सितंबर मंगलवार अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध (सभी के लिए )
ganesh chaturthi 2017 धन और सुख समृद्धि के लिए घर लाएं गणेश जी की ऐसी मूर्ति
क्या है श्राद्ध -
ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है।
जरूरी है श्राद्ध देना-
मान्यता है कि अगर पितर रुष्ट हो जाए तो मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितरों की अशांति के कारण धन हानि और संतान पक्ष से समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। संतान-हीनता के मामलों में ज्योतिषी पितृ दोष को अवश्य देखते हैं। ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
क्या दिया जाता है श्राद्ध में-
श्राद्ध में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है। साथ ही पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्त्व होता है। श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए। श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है।
श्राद्ध में कौओं का महत्त्व -
कौए को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है।
किस तारीख में करना चाहिए श्राद्ध-
सरल शब्दों में समझा जाए तो श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया जाना है। अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है। इस विषय में कुछ विशेष मान्यता भी है ।
- पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाता है।
- जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई जो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है।
- साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।
- जिन पितरों के मरने की तिथि याद नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है।
Published on:
20 Aug 2017 09:19 am
बड़ी खबरें
View Allजबलपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
