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जबलपुर। 05 सितम्बर 2017, बुधवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहे हैं। पितृपक्ष में पितृगण का श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होकर शुभ फल देते हैं। यही नहीं इससे परिवार में सुख शांति रहती है। आइए जानते कुछ ऐसी बातों के बारे में जिनका पितृपक्ष के दौरान खास ध्यान रखना चाहिए।
1.मान्यता है कि इन दिनों में पितर किसी भी रूप में आपके घर पर आ सकते हैं। पं सतीश शुक्ला की मानें तो भूलकर भी अपने दरवाजे पर आने वाले किसी भी जीव का निरादर ना करें।
2.पितृ पक्ष में पशु पक्षियों को अन्न- जल देने से विशेष लाभ होता है। इन्हें भोजन देने से पितृगण संतुष्ट होते हैं।
3.जो व्यक्ति पितरों का श्राद्ध करता है उसे पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। खान-पान में मांस-मछली को शामिल नहीं करना चाहिए।
4.पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, मूली, काला नमक, लौकी, खीरा एवं बांसी भोजन नहीं खाना चाहिए।
5. पं सतीश शुक्ला के अनुसार श्राद्ध कर्म में स्थान का विशेष महत्त्व है, शास्त्रों में बताया गया है कि गया, प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध एवं पिंडदान करने से पितरो को मुक्ति मिलती है। जो लोग इन स्थानों पर पिंडदान या श्राद्ध नहीं कर सकते वो अपने घर के आंगन में जमीन पर कहीं भी तर्पण कर सकते हैं। लेकिन किसी और के घर की जमीन पर तर्पण नहीं करना चाहिए।
6.श्राद्ध एवं तर्पण क्रिया में काले तिल का बड़ा महत्त्व है। श्राद्ध करने वालो को पितृ कर्म में काले तिल का इस्तेमाल करना चाहिए। लाल एवं सफ़ेद तिल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
7.पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाने का नियम है। भोजन पूर्ण सात्विक एवं धार्मिंक विचारों वाले ब्राह्मण को ही करवाना चाहिए।
8.पितृ पक्ष में भोजन करने वाले ब्राह्मण के लिए भी नियम है कि श्राद्ध का अन्न ग्रहण करने के बाद कुछ न खाए, इस दिन अपने घर में भी भोजन नहीं खाएं।
9. शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में कुत्ते, बिल्ली, और गायों किसी बी प्रकार की हानि नहीं पहुंचानी चाहिए।
10.मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान नए वस्त्र भी नहीं पहनने चाहिए।
Published on:
03 Sept 2017 01:48 pm
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