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indian railway : ट्रैक की सुरक्षा निजी हाथों में सौंपने की तैयारी, यहां से हुई शुरूआत

वेस्ट सेंट्रल रेलवे के जबलुपर डिवीजन में निजी गार्ड्स की तैनाती

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Broken railway line near the station, trains running from other side

Broken railway line near the station, trains running from other side

जबलपुर। निजीकरण की ओर बढ़ रहे रेल महकमे की एक और महत्वपूर्ण व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हो चुकी है। मामला रेलवे ट्रैक की सुरक्षा से जुड़ा है। रेल प्रशासन ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैक की सुरक्षा में निजी गार्ड्स झौंक दिए है। इसकी शुरुआत पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर मंडल से हुई है। इसके कारगार होने पर धीरे-धीरे पूरे महकमे में लागू करने की योजना है।

होमगार्ड जवान को प्राथमिकता
रेलवे की योजना के मुताबिक रात के वक्त पटरियों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड जवानों को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन जहां होमगार्ड जवान उपलब्ध नहीं होगे, वहां निजी कंपनी के कर्मचारियों की सेवाएं ली जाएंगी। पमरे में जबलपुर मंडल के बाद अन्य मंडल में भी रात के वक्त ट्रैक की सुरक्षा के लिए निजी गार्ड्स लगाए जाएंगे।

200 निजी गार्ड तैनात
रेलवे बोर्ड ने ट्रैकमैन की कमी के चलते होमगार्ड जवानों और निजी सुरक्षा गार्ड्स की तैनाती का निर्णय किया है। सभी रेलवे जोन और उसके अंतर्गत आने वाले रेल मंडलों को इसके निर्देश दे दिए गए हैं। जबलपुर मंडल में ट्रैक की सुरक्षा के लिए निजी कंपनी के 200 कर्मचारी तैनात कर दिए गए हैं।

ट्रैकमेन की कमी
रेलवे में पटरियों की सुरक्षा के लिए गश्त लगाने का काम ट्रैकमैन (पेट्रोलमैन) करते हैं। इनकी महकमे में भारी कमी है। इस कारण न तो ट्रैक की सुरक्षा हो पा रही है और न ही उसका रखरखाव हो पा रहा है। रात के वक्त विशेषकर कोहरा पडऩे दौरान सुरक्षा और गश्त की जरूरत और बढ़ जाती है।

अकेले इस डिवीजन में इतनी कमी
पमरे के जबलपुर डिवीजन में ही 400 के लगभग ट्रैकमैन की कमी है। इससे रात को ट्रैक की निगरानी में रेल प्रशासन को परेशानी हो रही है। जबलपुर डिवीजन के बाद पमरे के बाकी दो डिवीजन में भी निजी कर्मचारियों को रात के वक्त ट्रैक की निगरानी और सुरक्षा की जिम्मेदारी दिए जाने की कार्रवाई लगभग पूरी कर ली गई है।

ऐसे होगी सुरक्षा
रात में रेलवे ट्रैक में सुरक्षा के लिए दो लोगों को गश्त की जिम्मेदारी दी गई है। निजी कंपनी के कर्मचारियों को रेलवे एक दिन की ट्रेनिंग देगा। ड्यूटी के दौरान इन्हें बाकी ट्रेनिंग दी जाएगी। कर्मचारियों की दैनिक उपस्थिति के मान से निजी कंपनी को भुगतान किया जाएगा। दो-दो लोगों की टीम रेलवे ट्रैक के हर तीन किमी पर तैनात होगी। इनमें एक रेलवे का ट्रैकमैन होगा, दूसरा होमगार्ड का जवान या निजी कंपनी का कर्मचारी। हर टीम को एक जीपीएस दिया जाएगा, अलर्ट होते ही कंट्रोल को सूचना देंगे।