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रग रग में समाई रामायण, बरसों से बह रही राम नाम की अविरल गंगा

शहर की उत्सवधर्मी व धर्मप्रिय जनता की रग रग में भगवान श्रीराम की जीवनगाथा रामायण गहराई तक समाई हैं। संस्कारधानी राम और रामायण से इतनी प्रभावित है कि यहां हर कोने-कोने में दिन-रात रामचरित मानस की गूंज सुनाई देती रहती है। इस श्रद्धा को इसी से समझा जा सकता है कि शहर के सूपाताल स्थित रामायण मंदिर में 55 वर्षों से अखण्ड रामायण पाठ के रूप में दिन रात राम नाम की अविरल गंगा बह रही है।

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Ramayana mandir jabalpur

सूपाताल के रामायण मन्दिर सहित कई मन्दिरों में वर्षों से चल रही अखण्ड रामायण, भूकम्प और कोरोना में भी नही हुई बाधित


जबलपुर । शहर की उत्सवधर्मी व धर्मप्रिय जनता की रग रग में भगवान श्रीराम की जीवनगाथा रामायण गहराई तक समाई हैं। संस्कारधानी राम और रामायण से इतनी प्रभावित है कि यहां हर कोने-कोने में दिन-रात रामचरित मानस की गूंज सुनाई देती रहती है। इस श्रद्धा को इसी से समझा जा सकता है कि शहर के सूपाताल स्थित रामायण मंदिर में 55 वर्षों से अखण्ड रामायण पाठ के रूप में दिन रात राम नाम की अविरल गंगा बह रही है। इससे प्रेरित होकर सहित कई अन्य मंदिरों में भी अखण्ड मानस पाठ शुरू किए गए, जो भूकंप व कोरोना की आपदा के बाद भी वर्षों से निरन्तर जारी हैं। रामचरित मानस के प्रति शहरवासियों की श्रद्धा ही है कि शहर के सबसे बड़े प्रेक्षागृह का नाम भी मानस भवन रख दिया गया।
स्वामी वीरेन्द्रपुरी ने की थी शुरुआत-
गढ़ा उपनगरीय क्षेत्र के सूपाताल स्थित हनुमान मंदिर में 55 वर्ष से यह अखंड रामचरित मानस पाठ चल रहा है।अगस्त 1967 में इसकी शुरुआत नागा सन्यासी स्वामी वीरेंद्रपुरी ने की थी। यह पाठ 15 जुलाई 2005 को महाराजश्री के ब्रह्मलीन होने के बाद भी जारी रहा। ठंड, गर्मी, बरसात की परवाह किए बिना यह क्रम अभी तक अनवरत जारी है। मंदिर में इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है। कमेटी के सदस्य बारी-बारी से यहां आकर मानस पाठ करते हैं।

भूकंप में भी नही हुआ बाधित-
अखंड मानस पाठ की वजह से क्षेत्रीय लोगों ने मंदिर का नाम ही रामायण मंदिर रख दिया। मन्दिर में नियम से रामायण का पाठ करने के लिए आनेवाले गुड्डू खम्परिया बताते हैं कि 1997 में आए भूकम्प का गढ़ा व आसपास क्षेत्र पर खासा प्रभाव पड़ा था। उस समय भी यहां रामायण का पाठ बाधित नही हुआ। कोरोनाकाल में भी गाइडलाइंस का पालन करते हुए पाठ करने वाले नियमित रूप से आते रहे।


कई जगह होने लगी अखण्ड रामायण-
सूपाताल हनुमान मंदिर से प्रेरित होकर रानीताल के हनुमान मंदिर, मदनमहल स्थित हनुमान मंदिर, दमोहनाका, रांझी, अधारताल सहित अन्य इलाकों में भी कई मंदिरों में अखंड रामायण के पाठ आरंभ किए गए, जो अनवरत चल रहे हैं।भरतीपुर के शिव-पार्वती मन्दिर से जुड़े सोनकर समाज के सुशील सोनकर बताते हैं कि मन्दिर में 27 साल से रामायण का अखण्ड पाठ जारी है। पहले 1974 से में सावन माह से सवा माह तक मन्दिर में रामायण का पाठ किया जाता था। 1995 से यहां अखंड रामायण पाठ आरम्भ किया गया, जो अब भी जारी है। उन्होंने बताया कि अब तक रामायण के पाठ में व्यवधान नहीं आया है।


दो सौ मानस पाठ मंडल-
शहर में रामचरित मानस का पाठ करने के लिए मानस पाठ मंडल भी बने हैं। कम से कम दो सौ ऐसे मंडल रामायण का संगीतमय पाठ करते हैं। अपने-अपने क्षेत्रों के अलावा ये मंडल दूसरी जगहों पर भी सुंदरकांड, अखंड मानसपाठ व रामचरित मानस का सामान्य पाठ करते हैं।
हर मंगलवार-शनिवार मंदिरों में सुंदरकांड का पाठ भी लोगों की दिनचर्या में शामिल है। इसके अलावा रामायण पर आधारित कथा-प्रवचनों का भी आयोजन साल-भर होता रहता है। रामचरित मानस का मासिक पारायण मंदिरों में किया जाता है। नवरात्र पर घर-घर में नवधा रामायण का पाठ किया जाता है।
वर्ल्ड रामायण कान्फ्रेंस में आते हैं विद्वान-
मानस के प्रति अगाध श्रद्धा के चलते ही 6 जनवरी से यहां तीसरी वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस आयोजित होने जा रही है। इसमें देश विदेश के विद्वान शामिल होंगे और रामायण पर परिचर्चा करेंगे। मानस भवन में आयोजित की जा रही वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस आयोजन समिति से जुड़े ब्रजेश मिश्रा का कहना है कि रामायण शहर के लोगों की आस्था से बेहद गहरे तक जुड़ी है। यहां किसी न किसी रूप में मानस का पाठ, प्रवचन, कथा होती ही रहती हैं। उनका मानना है कि मानस के प्रति अगाध आस्था ही यहां भगवान श्रीराम से जुड़े आयोजनों की अधिकता की वजह है।