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आबादी की जमीन पर बेतरतीब हो रहा निर्माण, चौका देगा कारण

सरकारी खजाने को राजस्व का दोहरा नुकसान हो रहा

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जबलपुर। आबादी की जमीन पर नक्शा पास कराए बगैर भवनों का बेतरतीब निर्माण हो रहा है। शहर में आबादी की जमीनों पर कई लोग तीन पीढिय़ों से काबिज हैं। नगर निगम इन जमीनों पर भवन निर्माण के लिए पट्टे के बगैर नक्शा पास नहीं कर सकता। ऐसे में आबादी की जमीनों पर काबिज लोगों को पुराने गिर रहे मकानों की मरम्मत व नए भवनों का निर्माण बगैर नक्शा पास कराए करना पड़ रहा है। इससे सरकारी खजाने को राजस्व का दोहरा नुकसान हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार शहर में आबादी की जमीन पर काबिज लोगों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है।
बगैर नक्शा पास हुए किए जा रहे निर्माणों से अवैध कालोनियों व भवनों की बाढ़ आ रही है। फिर भी राजस्व विभाग शहरी सीमा में आबादी की जमीनों के सर्वे व काबिजों को पट्टा वितरण को लेकर गंभीरता नहीं बरत रहा है। इसे लेकर हाईकोर्ट कई बार फटकार लगा चुका है। कोर्ट कई बार आदेशित कर चुका है कि शहरी सीमा में आबादी की जमीनों का सर्वे कर काबिजों को पट्टा जारी कर मालिकाना हक दिया जाए। लेकिन, जिला प्रशासन के द्वारा कोर्ट के आदेश की लगातार अवमानना की जा रही है।


इन इलाकों मेंं हुआ सर्वे

हाईकोर्ट की लगातार फटकार के बाद राजस्व विभाग ने ग्वारीघाट, रामपुर व गढ़ा के कुछ हिस्से में आबादी की जमीनों का सर्वे किया। सर्वे हुए दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद इन जमीनों पर आज तक पट्टा जारी नहीं किया गया। इतना ही नहीं सर्वे की प्रक्रिया वहीं थम गई। गोरखपुर, सगड़ा व पुरवा में सर्वे किया ही नहीं गया। इसके पीछे राजस्व विभाग के अधिकारी स्टाफ की कमी को कारण बताते हैं। जबकि जानकारों का मानना है कि टोटल स्टेशन मशीन के जानकार राजस्व निरीक्षक, पटवारियों की टीम बनाकर महज ढाई-तीन महीने में शहरभर में आबादी की जमीनों के सर्वे की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। पट्टा जारी करने का काम तहसीलदारों को करना है।

विभाग नहीं दिखाता दिलस्पी
सर्वे को लेकर राजस्व विभाग नहीं दिखाता दिलचस्पी
सर्वे के लिए अलग से गठित नहीं की जा रही है विशेषज्ञों की टीम
एसएलआर सर्वे को गंभीरता से नहीं लेते
वरिष्ठ अधिकारी नहीं करते नियमित समीक्षा
बिल्डर नहीं चाहते कि इन जमीनों का सर्वे हो (अभी वे औने-पौने दाम खरीद लेते हैं प्राइम लोकेशन की जमीन )
लोन भी नहीं मिलता इन क्षेत्रों में ज्यादातर परिवार ऐसे हैं जिनमें कभी किसी के दादा, नाना या पिता ने जमीन खरीदी थी। यानी वे तीन पीढिय़ों से इन जमीनों पर काबिज हैं। लेकिन पट्टा न होने के कारण इन जमीनों पर उन्हें बैंक लोन भी नहीं देते। ऐसे में सर्वे करने के बाद पट्टा जारी कर ऐसे हजारों लोगों की समस्या को दूर किया जा सकता है।

इनका कहना है
शहरी सीमा में मौजूद आबादी की जमीनों के सर्वे व पट्टा वितरण की दिशा में अब तक हुई कार्रवाई की समीक्षा करेंगे। संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगे, जिससे कि इस कार्य को गति मिले व समस्या का निराकरण हो सके।
छवि भारद्वाज, कलेक्टर