
mp high court
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि मप्र माइनर मिनरल रूल्स 1996 के प्रावधानों के तहत सक्षम अधिकारी को अवैध उत्खनन रोकने के लिए नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन को राजसात करने का अधिकार है। चीफ जस्टिस एसके सेठ, जस्टिस आरएस झा, नंदिता दुबे, आरके दुबे व संजय द्विवेदी की फुल बेंच ने कहा कि नियमों के तहत पेनाल्टी का प्रावधान अलग है। इस संवैधानिक मत के साथ कोर्ट ने नितेश राठौर व अन्य के मामले में दिए गए फैसले को अपास्त कर दिया।
यह है मामला
सिवनी जिले के बरघाट निवासी राजकुमार साहू ने याचिका में कहा कि अवैध उत्खनन के आरोप में जिला माइनिंग अधिकारी ने उसका वाहन राजसात कर लिया। जबकि वाहन पहली बार अवैध उत्खनन करते हुए पकड़ा गया। वह अधिकारी द्वारा नियमों के तहत लगाई गई पेनाल्टी देने को भी तैयार था। मप्र हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच के नितेश राठौर व अन्य के मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि इसके अनुसार एेसी परिस्थिति में वाहन राजसात करना अनुचित है। इस ङ्क्षबदु पर संवैधानिक मत जानने के लिए जस्टिस आरएस झा व जस्टिस संजय द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने मामले को पांच जजों की फुल बेंच के समक्ष भेजा था।
यह कहा कोर्ट ने
अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि मप्र माइनर मिनरल रुल्स 1996 के नियम 53 व उसके उपनियमों के तहत सक्षम अधिकारी को अवैध उत्खनन रोकने व इस पर लगाम लगाने के लिए प्राधिकृत किया गया है। नियमों के तहत वह इसके लिए अवैध उत्खनन कर परिवहन करने वाले वाहन को राजसात कर सकता है। आरोपी के खिलाफ अपराधिक अभियोजन संस्थित करने व पेनाल्टी लगाने का अधिकार राजसात करने के अधिकार के साथ प्रयुक्त किया जा सकता है। पहली बार अवैध उत्खनन की घटना मंें लिप्त पाए जाने की श पेनाल्टी चुकाने के लिए तैयार होने की दशा में भी सक्षम अधिकारी विवेकानुसार कार्रवाई कर सकता है। कोर्ट ने अपने पूर्व निर्णय को अपास्त करते हुए मामले को वापस जस्टिस झा की डिवीजन बेंच के समक्ष विचारण के लिए भेज दिया। याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता आदित्य संघी, गुंचा रसूल ने व सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर ने रखा।
Published on:
27 Apr 2019 12:03 am
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