25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

किस्मत के बदले अस्मत : कोर्ट के फैसले से पहले क्लीनचिट देकर 4 को बहाल कर दिया

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का कारनामा - 2011 में अच्छे अंक दिलाने का झांसा देकर शोषण किए जाने का मामला उजागर हुआ था- कार्य परिषद ने भी दे दी मंजूरीजबलपुर. बहुचर्चित किस्मत के बदले अस्मत मामले में निलंबित आरोपियों को कोर्ट के फैसले से पहले ही क्लीनचिट मिल गई। जिन्हें बहाल कर दिया गया।

2 min read
Google source verification
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का कारनामा

Rani Durgavati university

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने भी इस प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया। इस फैसले से अच्छे नम्बर दिलाने का झांसा देकर छात्राओं का शोषण करने वाले आरोपी एक बार फिर अपनी सीटों पर आकर जम गए हैं।
यह शिक्षाजगत को शर्मसार करने वाली घटनाओं में से एक है। जब रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों ने लड़कियों से नम्बर के बदले जिस्म का सौदा करने की कोशिश की थी।

पीडि़तो में मेडिकल की स्टूडेंट्स भी शामिल थीं। 2011-12 में इसका खुलासा हुआ तो हर कोई हैरान रह गया। अपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुआ और मामला कोर्ट में है। लेकिन उस समय कार्रवाई के तौर पर निलंबित किए गए शिक्षक व कर्मचारी बहाल कर दिए गए। अब तक उप कुलसचिव और प्रोफेसर के अलावा तीन कर्मचारी भी अपनी पुरानी पोजीशन में आ गए। कार्य परिषद में यह प्रस्ताव रखा गया था, जिसे बिना किसी विरोध के पास कर दिया गया। जबकि कोर्ट से भी फैसला नहीं हुआ है, बहाली का उस आदेश के अध्यधीन होने का उल्लेख किया गया है।

इन पर हुई थी कार्रवाई

इज्जत का सौदा करने का मामला उजागर होने पर तत्कालीन कुलसचिव विजय शर्मा, उप कुलसचिव रविन्द्र सिंह काकोडिया, दर्शनशास्त्र के डॉ. डीएन शुक्ला उच्च वर्गीय लिपिक जयदीप पांडे व प्रदीप शुक्ला, निम्न वर्गीय लिपिक संजय यादव, मुद्रिका तिवारी को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया गया था। साथ ही इनके सहित ठेकेदार राजू खान के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया था। यह प्रकरण न्यायालय में है। इनमें विजय शर्मा और मुद्रिका तिवारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और डॉ राणा का निधन हो गया था।

बहाली पर उठ रहे सवाल

जानकारी के अनुसार दर्शन शास्त्र विभाग से डॉ. डीएन शुक्ला के अलावा उच्च वर्गीय लिपिक जयदीप पांडे व प्रदीप शुक्ला और निम्न वर्गीय लिपिक संजय यादव को 9 सितम्बर को बहाल किया गया है। यह 2011-12 से निलंबित थे। इनकी बहाली का आधार उप कुलसचिव रविंद्र सिंह काकोडिया को लेकर राज्य शासन द्वारा लिए गए निर्णय को बनाया गया है। हालांकि काकोडिया को निलंबन के बाद विश्वविद्यालय से हटा दिया गया था। जबकि बाकी वहीं जमे रहे।