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एलपीआर में गोला दागेगी शारंग तोप

परीक्षण की तैयारियां पूरी, अगले सप्ताह से परीक्षण  

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sharang gun

abalpur: Sharang cannon prepared for the Army will be tested at Long Poorf Range (LPR) Khamaria. This is the first time that a gun with such a range will be fired in the city.

जबलपुर. सेना के लिए तैयार शारंग तोप का परीक्षण लॉंन्ग पू्रफ रेंज (एलपीआर) खमरिया में होगा। यह पहला मौका है, जब इतनी रेंज वाली किसी गन की फायरिंग शहर में होगी। अगले सप्ताह से एलपीआर में तोप की गूंज सुनाई देगी। इससे पहले राजस्थान, ओडिसा और इटारसी में इस क्षमता वाली तोप की फायरिंग होती थी।

एलपीआर में इस रेंज की तोप के परीक्षण के लिए लम्बे समय से प्रयास चल रहे थे। 130 एमएम से 155 एमएम 45 कैलीबर में अपगे्रड की गई शारंग तोप के लिए भी रेंज के मंत्रणा चल रही थी। अब वह फाइनल हो गई है। करीब 38 किमी मारक क्षमता वाली तोप के लिए जबलपुर में तैयारियां कर ली गई हैं। इसका फायदा आयुध निर्माण्ी बोर्ड को होगा। क्योंकि, अब उसे शहर से दूसरी जगह तोप का परीक्षण नहीं करना पडेग़ा।

जीसीएफ और वीएफजे में बनी तोप

गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) और वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) में 130 एमएम आर्टलरी गन को अपग्रेड किया गया है। पहले दौर में 30 गन तैयार कर देना है। इसमें करीब 10 गन तैयार हो चुकी हैं। इसमें आठ जीसीएफ, दो वीएफजे में अपग्रेड की गई हैं। जीसीएफ में यह प्रोजेक्ट चल रहा था। वीएफजे में काम की कमी को दूर करने के लिए इसे शुरू किया गया है। सेना के पास जितनी 130 एमएम गन उसमें करीब 40 फीसदी का अपग्रेडेशन यहां होगा।

यह है स्थिति
- 130 एमएम से 155 एमएम 45 कैलीबर में अपग्रेडेशन।

- सेना के पास 300 से ज्यादा तोप को करना है अपग्रेड।
- पहले साल जीसीएफ-वीएफजे मिलकर तैयार करेगी 30 तोप।

- 35 से 38 किमी की दूरी तक साधा जा सकेगा निशाना।
- शारंग के साथ धनुष तोप के शहर में ट्रायल का खुला रास्ता।

वीएफजे कर्मियों ने लिया था प्रशिक्षण
यह प्रोजेक्ट मूल रूप से आयुध निर्माणी कानपुर और गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) का है। नॉन कोर ग्रुप में होने के कारण वीएफजे के पास काम की कमी दूर करने के लिए ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट को वीएफजे के साथ साझा किया है। करीब 50 कर्मचारियों को गन तैयार करने की तकनीक का परीक्षण जीसीएफ में दिया गया। जब वह इसमें पारंगत हो गए, तो फिर वीएफजे में ही गन के अपग्रेडेशन का शुरू किया गया है।

दुश्मन के लिए ज्यादा घातक
यह गन अपग्रेडेशन के बाद ज्यादा ताकतवर हो गई है। अपग्रेडेशन के बाद इससे 27 की जगह करीब 38 किमी की दूरी तक गोला दागा जा सकेगा। इसके लिए तकनीकी रूप से कई बदलाव किए गए हैं। खासकर बैरल, ब्रीच ब्लॉक और नया साइटिंग सिस्टम इसमें लगाया गया है। जानकारों ने बताया कि इस पर 70 से 75 लाख रुपए का खर्च आएगा। करीब 300 गन को 2022 तक अपग्रेड कर सेना को सौंपा जाना है।

शारंग तोप की फायरिंग लांग प्रूफ रेंज, खमरिया में की जाएगी। इसकी तैयारियां की जा रही हैं। शुरू में जीसीएफ से आठ गन ट्रायल के लिए भेजी जाएंगी। परीक्षण के बाद तोप को सेना के सुपुर्द किया जाएगा।

संजय श्रीवास्तव, जनसम्पर्क अधिकारी जीसीएफ