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दुर्गा पूजा 2020: पंचमी अष्टमी पर विशेष कृपा बरसाएंगी देवी, होगी अभीष्ट वर की प्राप्ति

locationजबलपुरPublished: Oct 20, 2020 01:43:53 pm

Submitted by:

Lalit kostha

महापंचमी बुधवार को, 24 अक्टूबर को होगा महाष्टमी पूजन होगा

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जबलपुर। शारदेय नवरात्र की महापंचमी बुधवार को है। विद्वानों का मानना है कि इस दिन मां भगवती को चुनरी चढ़ाने व मखाने की खीर का भोग अर्पित करने से विवाह योग्य किशोरियों को मनवांछित वर की प्राप्ति होती। नवरात्र की महाष्टमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
पूरे नौ दिनों की होगी नवरात्र- पंडित जनार्दन शुक्ला ने बताया कि इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों तक होगी। ऐसा सामान्यत: कम होता है। अक्सर नवरात्र नौ के बजाय आठ या दस दिनों की होती है। उन्होंने बताया कि पूरे नौ दिनों की नवरात्र का संयोग देवी उपासना के लिए सर्वोत्तम होता है। माता के साधकों को ऐसे संयोग की प्रतीक्षा रहती है। इस बार देवी के प्रत्येक नौ स्वरूपों की निर्धारित एक एक दिन पूजा कर सभी नौ देवियों का आशीर्वाद लिया जा सकता है।

पंचमी, अष्टमी महत्वपूर्ण
शुक्ला ने बताया कि शारदेय नवरात्र की पंचमी का विवाह के योग्य कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत अधिक महत्व है। इस बार पंचमी 21 अक्टूबर को अष्टमी 24 अक्टूबर को है। उन्होंने बताया कि पंचमी के दिन विवाह योग्य कन्याओं को प्रात: स्नान कर माता स्कंदमाता को लाल रंग की चुनरी अर्पित करनी चाहिए। माता को मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए।

Durga Ji
IMAGE CREDIT: NET

पंचमी, अष्टमी को होते हैं अनुष्ठान- नवरात्र की पंचमी व अष्टमी नौ में से सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। पंचमी के दिन माता का विशेष पूजन किया जाता है। अष्टमी को माता के विशेष अनुष्ठान होते हैं। हर वर्ष अष्टमी के दिन शहर में जगह-जगह भंडारे आयोजित किए जाते हैं। हालांकि इस वर्ष कोरोना को देखते हुए भंडारों की मनाही है।

बगलामुखी मंदिर में 1100 मनोकामना अखंड ज्योति कलश स्थापित
बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर में नवरात्रि के पावन पर्व पर भक्तों की ओर से स्थापित अखंड ज्योति कलश मनोकामना का पूजन अर्चन भक्त कर रहे हैं। भक्तगण अपने-अपने कलश की पूजा अर्चन कर रहे हैं। मंदिर में बगलामुखी माता का विशेष श्रृंगार अर्चन भोग महा आरती और ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज भगवती का विशेष पूजन रात्रि में कर रहे हैं। मंदिर समिति के मनोज सेन ने बताया कि इस बार 1100 अखंड ज्योति कलश रखे गए हैं। वैदिक ब्राह्मण उनकी देखरेख में पाठ कर रहे है। दोपहर में आचार्य राजेंद्र शास्त्री भगवती राजराजेश्वरी का विशेष पूजन कर रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग एवं कोविड-19 के नियमों का पालन किया जा रहा है।

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