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रात में रैन बसेरों में लग जाते हैं ताले

आवाज देने पर भी नहीं खोला जाता , फुटपाथ और चौराहों पर गुजर रही निराश्रितों की रात  

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रात में रैन बसेरों में लग जाते हैं ताले

आश्रय स्थल में लगा ताला

जबलपुर। कोई भी बेसहारा सर्द रातों में खुले में न सोए इसके लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं। प्रशासन ने खासकर ठंड के समय सडक़ों पर रात गुजारने वालों को आश्रय स्थलों में लाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को ठंड से बचाना है। हालांकि,जिम्मेदारों की निगरनी न होने से यह व्यवस्था चौपट हो गई है। पत्रिका एक्सपोज ने निराश्रितों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों का जायजा लिया तो अधिकतर आश्रय स्थल में ताला लगा हुआ था तो वहीं वहीं भीषण ठंड में लोग सडक़ों,चौराहो,फुटपाथ व नर्मदा घाट पर ठिठुरते मिले।
निराश्रितों व जरुरमंदों के नाम पर नगर निगम रैन बसेरों का संचालन कर रही है। शहर में करीब १२ रैन बसेरे है। जिनमें से छह रैन बसेरे के संचालन की जिम्मेदार एनजीओ (ज्वाला फाउंडेशन) को सौंपी गई है। नगर निगम द्वारा सभी आश्रय स्थलों के लिए एक जैसी गाईड लाइन निर्धारित की गई है। आश्रय स्थलों पर निरराश्रितों को आसरा देने के साथ ही राउंड द क्लॉक खुले होने का दावा किया जाता है। लेकिन हकीकत इसके उलट ही है। रात होते ही रैन बसेरों में ड्यूटी करने वाले लाइट बंद कर गहरी नींद में सो जाते हैं।

हेल्पलाइन हेल्पलेस
आश्रय स्थलों पर वहां ठहरने सम्बंधित आवश्यक सूचना लिखी गई हैं। लोगों की सुविधा के लिए इसमें हेल्पलाइन नंबर भी दिया गया है। हालांकि,रात के समय यह हेल्पलाइन हेल्पलेस हो जाती है। दरअसल रैन बसेरा में ताला लग जाने पर लोगों को हेल्पलाइन नंबर दिखाई नहीं देता। फ्लैक्स इस ढंग से लगाया गया है कि ताला लगने के बाद वह लोगों की नजर में आता।

होटलों को फायदा
आश्रय स्थल बंद होने से उसके आस-पास संचालित होटल व लॉज को फायदा मिल रहा है। जानकारों का कहना है कि मिलीभगत होने से आश्रय स्थल रात में जल्दी बंद हो जाते हैं। इसके बाद यहां पहुंचने वालों को जगह नहीं हाोने की बात कहकर दरवाजा तक नहीं खोलते हैं। बाहर से आने-जाने वाले जरुरतमंदों को लॉज में ठहरने की सलाह दी जाती है। कुछ आश्रय स्थलों के बाहर तो होटलों के एेजेंट सक्रिय रहते हैं। ये एजेंट लोगों कम रेट में कमरा दिलाने का दावा कर ले जाते हैं। बताया जाता है कि यह खेल आश्रय स्थल में रात में ड्यूटी करने वालों की मिलीभगत से चल रहा है।

निगम द्वारा संचालित आश्रय स्थल
तीन पत्ती, गोकुलदास, रांझी,अधारताल,एल्गिन
एनजीओ द्वारा संचालित आश्रय स्थल
मेडिकल ,पिसनहारी मढिया, तिलवारा घाट, ग्वारीघाट, दमोहनाका, आईएसबीटी

ये हैं हालात

स्थान: एल्गिन
समय: 12.05
हालात: एल्गिन अस्पताल परिसर में स्थित रैन बसेरा। यहां रैन बसेरा में अन्धेरा पसरा हुआ था। कुछ युवक यहां किनारे खड़े होकर शराब पी रहे थे। अस्पताल में बने साइकिल स्टैंड में भर्ती प्रसुतिकाओं के परिजन बैठे बैंच पर बैठे मिले। पाटन निवासी विनोद ने बताया कि रैन बसेरा बन्द रहने की वजह से बाहर रात गुजरनी पड़ रही है।

स्थान : तीन पत्ती
समय : रात 12.40 बजे
हालात: बस स्टैंड पुलिस चौकी के समीप स्थित रैन बसेरा। रैन बसेरे में लोहे की चैनल पर ताला लटका मिला। यहां बने मार्केट की दुकानों के पास सीढ़ी में एक युवक सोता मिला। युवक ने बताया कि वह रिक्शा चलाता है। रैन बसेरा में पैसे लिए जाते हैं इसलिए वह बाहर सो जाता है।

स्थन : पिसनहारी मढि़या
समय: रात 01.15 बजे
हालात : पिसनहारी मढिया के सामने स्थित रैन बसेरा में ताला लगा हुआ मिला। कई बार आवाज लगाने पर भी कोई नहीं आया। रैन बसेरा के बाहर मिले कुछ युवकों ने रिपोर्टर को लॉज में ठहरने की सलाह दी। युवकों का कहना था कि रैन बसेरा फुल चल रही है। इस दौरान मेडिकल अैार तिराहे के पास सडक़ किनारे लोग ठंड में सोते मिले।

स्थान : दमोहनाका
समय : रात 01.45
हालात : आश्रय स्थल का मुख्य द्वार बंद मिला। आस पास अंधेरा था। यहां कई बार आवाज लगाने पर भी बाहर कोई नहीं आया। दमोहनाका और जोन कार्यालय के पास निराश्रित सोते मिले। ये लोग ठंड में ठिठुर रहे थे।


ये कहते हैं जिम्मेदार
शहर के सभी आश्रय स्थलों को रात में खुला रखने का निर्देश दिया गया है। यदि वहां ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ इस मामले में लापरवाही कर रहा है तो एक्शन लिया जाएगा। मैं खुद आश्रय स्थलों का जायजा लूंगा।
टीएस कुमरे,अपर आयुक्त,नगर निगम